मां आदिशक्ति के 51 शक्तिपीठों में से एक है काशी में स्थित ‘मां विशालाक्षी का मंदिर’, मिलता है सौभाग्य का वरदान, जानिए क्या है मान्यता

मां विशालाक्षी का स्वरूप उनके नाम के अनुरूप ही है—विशाल नेत्रों वाली देवी। वे कांची की कामाक्षी और मदुरै की मीनाक्षी के समान पूजनीय हैं। मान्यता है कि यहां माता की पूजा-अर्चना करने से सौंदर्य, धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। मंदिर में श्रद्धालु जप, दान और यज्ञ करके मुक्ति प्राप्त करने की कामना करते हैं। विशेष रूप से, यदि कोई 41 मंगलवार तक कुमकुम अर्पित करता है, तो देवी मां उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण करती हैं।
ऋषि वेदव्यास से जुड़ी है मान्यता
स्कंद पुराण में इस मंदिर से जुड़ी एक रोचक कथा मिलती है। जब ऋषि वेदव्यास को वाराणसी में कोई भी भोजन अर्पित नहीं कर रहा था, तब मां विशालाक्षी गृहिणी के रूप में प्रकट हुईं और ऋषि को भोजन कराया। यह प्रसंग मां अन्नपूर्णा के स्वरूप की याद दिलाता है, जिसमें माता सभी को भोजन देने वाली देवी के रूप में पूजी जाती हैं।
वर्ष 1908 में हुआ था इस मंदिर का निर्माण
मीरघाट की संकरी गलियों से होते हुए धर्मेश्वर महादेव के निकट स्थित इस मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में हुआ था। वर्तमान मंदिर का जीर्णोद्धार वर्ष 1908 में दक्षिण भारतीय भक्तों द्वारा कराया गया था। मंदिर के गर्भगृह को छोड़कर इसका शेष भाग दक्षिण भारतीय शैली में बना हुआ है। यहां के बाहरी हिस्से में भगवान गणेश, शिव और अन्य देवी-देवताओं की रंग-बिरंगी मूर्तियां बनी हुई हैं।
मंदिर में मां विशालाक्षी की दो मूर्तियां हैं। सन् 1971 में अभिषेक के दौरान मुख्य प्रतिमा की अंगुली खंडित हो जाने के कारण वहां एक नई प्रतिमा स्थापित की गई। प्राचीन प्रतिमा मंदिर के भीतर ही स्थापित है।
भाद्रपद में मनाया जाता है मां का जन्मोत्सव
मंदिर में हर वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मां विशालाक्षी का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर मां का विशेष श्रृंगार किया जाता है, जिसे देखने के लिए स्थानीय भक्तों के अलावा बड़ी संख्या में दक्षिण भारतीय श्रद्धालु भी आते हैं। इसके अलावा यहां सालभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। बाबा श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन को आने वाले श्रद्धालु मां विशालाक्षी का दर्शन अवश्य करते हैं।
चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। नवरात्र में मां को नौ गौरी स्वरूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि विशालाक्षी माता के दर्शन मात्र से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं और व्यक्ति को सुख, समृद्धि व यश की प्राप्ति होती है।