मेहंदी के रंगों से संवार रहीं परिवार का भविष्य, काफी मुश्किलों भरा है राधा का सफर, फिर भी हिम्मत नहीं हारीं 

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वाराणसी। पवित्र घाटों पर, जहां गंगा की लहरें जीवन की कहानियां सुनाती हैं, 20 वर्षीय राधा श्रीवास्तव अपने संघर्ष और हौसले से एक नई मिसाल कायम कर रही हैं। वह उम्र, जिसमें सपने रंगीन होने चाहिए, राधा के लिए जिम्मेदारियों का बोझ उठाने का समय बन गया। पिता की मृत्यु, मां की बीमारी और परिवार में पुरुष की अनुपस्थिति ने राधा को कम उम्र में ही परिवार का सहारा बनने को मजबूर कर दिया। लेकिन हार मानने के बजाय, राधा ने मेहंदी के रंगों को अपना हथियार बनाया और न केवल अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं, बल्कि अपनी दो छोटी बहनों के सपनों को भी उड़ान दे रही हैं।

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मुश्किलों से भरा सफर
चंदौली जिले की रहने वाली राधा वर्तमान में वाराणसी के सामनेघाट पर रहती हैं। आठ साल पहले, जब उनके पिता का देहांत हुआ, तब राधा की दुनिया बदल गई। घर में कोई पुरुष नहीं था, और मां की बीमारी ने स्थिति को और जटिल कर दिया। राधा ने बताया, “पढ़ाई ज्यादा नहीं कर पाई, लेकिन हालात ने मुझे जिंदगी की किताब पढ़ा दी।” आज वह न केवल देशी पर्यटकों, बल्कि फ्रांस, स्पेन, अमेरिका, रूस, जापान और इंग्लैंड जैसे देशों से आए विदेशी सैलानियों के साथ अंग्रेजी में बात करती हैं और उनके हाथों पर मेहंदी की खूबसूरत डिजाइन बनाती हैं।

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सुबह से रात तक मेहंदी के रंग
राधा का दिन सुबह 6 बजे शुरू होता है, जब वह अपने छोटे से घर से वाराणसी के घाटों की ओर निकलती हैं। रात 8 बजे तक वह पर्यटकों के हाथों पर मेहंदी लगाती हैं। मेहंदी की कीमत डिजाइन के आधार पर 50 रुपये से 500 रुपये तक होती है। राधा कहती हैं, “कभी-कभी दिन भर में एक भी ग्राहक नहीं मिलता, और खाली हाथ घर लौटना पड़ता है। लेकिन मैं निराश नहीं होती। भगवान पर भरोसा है, आज नहीं तो कल ग्राहक जरूर आएंगे।” उनकी यह सकारात्मक सोच और मेहनत ही उन्हें हर मुश्किल में डटकर सामना करने की ताकत देती है।

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मेहंदी से चलता है परिवार
राधा की कमाई से न केवल घर का खर्च चलता है, बल्कि मां की दवाइयों और दो छोटी बहनों की पढ़ाई का खर्च भी उठता है। वह कहती हैं, “मेरी बहनों को पढ़ाना मेरा सपना है। मैं नहीं पढ़ पाई, लेकिन उन्हें अच्छी शिक्षा दिलाना चाहती हूं।” राधा की मेहंदी सिर्फ उनके हाथों की कला नहीं, बल्कि उनके परिवार की उम्मीदों का रंग है।

पर्यटकों का भरोसा
राधा की कला की तारीफ करने वालों में एक पर्यटक पलक भी हैं, जिन्होंने बताया, “राधा ने पांच मिनट में इतनी खूबसूरत मेहंदी लगाई कि देखकर हैरानी हुई। आमतौर पर दोनों हाथों की मेहंदी के लिए हजार रुपये तक लगते हैं, लेकिन राधा किफायती दाम में बेहतरीन डिजाइन बनाती हैं।” वाराणसी के घाटों पर घूमने आए पर्यटकों के लिए राधा की मेहंदी न केवल एक कला है, बल्कि एक कहानी है, जो हौसले और मेहनत से बुनी गई है।

एक प्रेरणा
राधा श्रीवास्तव की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो मुश्किलों के सामने हार मान लेते हैं। गरीबी, दुख और जिम्मेदारियों के बोझ तले दबने के बावजूद, राधा ने न केवल अपने परिवार को संभाला, बल्कि अपनी मेहनत से एक पहचान भी बनाई। वह कहती हैं, “मेहंदी मेरे लिए सिर्फ कमाई का जरिया नहीं, बल्कि मेरे हौसले का रंग है।” वाराणसी के घाटों पर राधा की मेहंदी न केवल पर्यटकों के हाथों को सजाती है, बल्कि एक ऐसी युवा लड़की की कहानी भी बयां करती है, जो अपने संघर्षों से जिंदगी को रंगीन बना रही है।

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