मां शीतला के दरबार में पांच दिवसीय संगीत समारोह, पंडित दुर्गा प्रसन्ना ने शहनाई से किया आगाज, मनोज तिवारी के गीतों पर झूमे श्रोता

वाराणसी। दशाश्वमेध घाट स्थित शीतला माता धाम में चल रहे पांच दिवसीय संगीत समारोह की द्वितीय रात्रि शनिवार को भव्य श्रृंगार और पूजन-अर्चन के साथ शुरू हुई। इस अवसर पर महंत पं. शिव प्रसाद पांडेय एवं पं. पुरुषोत्तम पांडेय ने विधिवत पूजन किया। वहीं पं. अविनाश पांडेय ने माता शीतला की आरती उतारी।
संगीत समारोह की शुरुआत पं. दुर्गा प्रसन्ना एवं उनके साथी कलाकारों द्वारा शहनाई वादन से हुई। “गंगा तीरे बधइया बाजे…” और चैती की धुनों ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। इसके बाद विख्यात कथक नृत्य कलाकार पं. रविशंकर मिश्र एवं डॉ. ममता टंडन ने देवी स्तुति और शिव स्तुति के साथ पारंपरिक कथक की प्रस्तुतियां दीं। तोड़ा, टुकड़ा और तिहाई की बारीकियों से सजे इस प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। तबले पर संगत पं. भोलानाथ मिश्र और राम मिश्रा ने की, जबकि गायन व हारमोनियम पर गौरव मिश्रा ने साथ दिया।
भजन गायन में डॉ. विजय कपूर, रमा सिंह समेत कई कलाकारों ने देवी गीत प्रस्तुत किए। वहीं, प्रसिद्ध तबला वादक दीपक सिंह ने बंगाल, पंजाब, हरियाणा, बिहार, गुजरात जैसे विभिन्न प्रांतों की तालों पर स्वतंत्र तबला वादन करते हुए "सीताराम सीताराम" और "हर हर महादेव" की धुन बजाई, जिसने पूरे घाट को झंकृत कर दिया।
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मुख्य आकर्षण रहे भोजपुरी के लोकप्रिय नायक एवं गायक, सांसद मनोज तिवारी मृदुल। जैसे ही वे मां शीतला के चरणों में शीश नवाकर मंच की ओर बढ़े, श्रद्धालुओं से भरा घाट तालियों और “हर हर महादेव” के नारों से गूंज उठा। उन्होंने “शीतला मैया गंगा मैया”, “फिर से सेवका दुवारी आईल बा”, “काला टीका”, “शेर पर सवार रूपवा मोहत बा” जैसे अनेक देवी गीतों की प्रस्तुति दी। उनके गाए भजनों ने श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया।
समारोह में बनारस के वरिष्ठ साहित्यकार पं. हरिराम द्विवेदी और जितेंद्र सिंह जीत को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। विजय बागी, सुमन अग्रहरि, पूजा मोदनवाल, राधा मिश्रा और चंदन सिंह मधुर सहित कई अन्य कलाकारों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। समारोह में समाज विज्ञान संकाय के पूर्व संकायाध्यक्ष प्रो. प्रदीप कुमार पांडेय, कलाकारों का स्वागत पं. मनीष पांडेय, पं. अवशेष पांडेय, पं. राजेश तिवारी, पं. सतीश पांडेय और पं. सुनील शर्मा ने मोतियों की माला और चुनरी भेंट कर किया।