चैत्र नवरात्रि का प्रथम दिन: मां मुख निर्मालिका गौरी के दर्शन पूजन से मिलता है पुण्य, जानिए काशी में कहां स्थित है मां का यह मंदिर

वाराणसी। काशी में चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन का विशेष महत्व है। श्रद्धालु इस दिन मुख निर्मालिका गौरी के दर्शन और पूजन कर शुभता की कामना करते हैं। यह मंदिर गायघाट स्थित हनुमान मंदिर के पास स्थित है।
मुख निर्मालिका गौरी के दर्शन के लिए भक्त भोर से माता रानी के दरबार में कतारबद्ध हो गए। प्राचीन मान्यता के अनुसार वासंतिक नवरात्र में नौ गौरियों का पूजन होता है तो देवी भक्तों का रेला मुख निर्मालिका गौरी के मंदिर में लगा। हालांकि शक्ति के उपासक मां शैलपुत्री के दर्शन-पूजन को भी उमड़े। भक्त माता को नारियल, चुनरी, भोग, प्रसाद, और सिंगार का सामान अर्पित करके शीश नवाते रहे।
मंत्र जाप से साधना को मिलती है सिद्धि
नवरात्र के प्रथम दिन श्रद्धालु एक विशेष मंत्र का जाप कर अपनी साधना को सफल बनाने का प्रयास करते हैं:
"कालरात्रिं ब्रह्मस्तुतां दक्षदुहितरं नमाम: पावनां शिवा।"
इसका अर्थ है कि काल का नाश करने वाली, वेदों में स्तुत्य, विष्णु शक्ति, स्कंदमाता, शिवशक्ति, सरस्वती, ब्रह्मशक्ति, देवमाता अदिति, दक्ष कन्या सती, पापनाशिनी और कल्याणकारिणी भगवती को नमन किया जाता है।
निर्मालिका गौरी के पूजन से मिलता है पुण्य
स्नान-ध्यान के बाद भक्तगण विशेष रूप से मुख निर्मालिका गौरी के दर्शन कर पुण्य अर्जित करते हैं। इस दौरान कई भक्त अपने घरों में विविध अनुष्ठानों का आयोजन भी करते हैं, जिससे आध्यात्मिक वातावरण और अधिक पवित्र हो जाता है।
वासंतिक नवरात्रि का पहला दिन देवी शक्ति की उपासना और आस्था का प्रतीक माना जाता है। श्रद्धालु पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मां दुर्गा की उपासना कर सुख, समृद्धि और कल्याण की कामना करते हैं।