वाराणसी जंक्शन पर दुर्ग-नौतनवा एक्सप्रेस का इंजन शंटिंग के दौरान डिरेल, रफ़्तार कम होने से टला बड़ा हादसा

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, जैसे ही इंजन डिरेल हुआ, स्टेशन के कंट्रोल रूम में हड़कंप मच गया। तत्काल प्रभाव से डाउन लाइन पर आने वाली ट्रेनों को रोक दिया गया और 'कॉशन' जारी कर दिया गया। इसके साथ ही रनिंग स्टाफ, ट्रैक के गैंगमैन और इंजीनियरों की टीम मौके पर रवाना हो गई।
जानकारी के अनुसार, इंजन प्लेटफार्म नंबर 2 से लूप लाइन की ओर शिफ्ट किया जा रहा था, जहां प्वाइंट नंबर 514 पर जॉइंट क्लैंप में क्रैक की वजह से ट्रैक कमजोर हो गया था। जैसे ही इंजन उस स्थान से गुजरा, पटरी का जॉइंट टूट गया और इंजन पटरी से नीचे उतर गया। घटना के समय इंजन की रफ्तार कम थी, जिससे बड़ी दुर्घटना टल गई।
रेलवे सूत्रों के मुताबिक, ट्रेन दुर्ग से वाराणसी होते हुए नौतनवा के लिए जा रही थी। यात्रियों को वाराणसी में उतारने के बाद इंजन को सिटी स्टेशन की ओर ले जाकर रूट बदला जाना था, लेकिन शंटिंग प्रक्रिया के दौरान ही यह घटना हो गई।
वायरलेस से दी गई तत्काल सूचना, तुरंत एक्टिव हुआ कंट्रोल रूम
लोको पायलट ने डिरेल होते ही इंजन को रोकने का प्रयास किया, लेकिन तब तक इंजन लगभग एक फीट तक पटरी से नीचे फिसल चुका था। उन्होंने तत्काल वायरलेस के जरिए स्टेशन कंट्रोल रूम, पैनल ऑपरेटिंग इंचार्ज और स्टेशन मास्टर को सूचना दी। इसके बाद रेलवे के विभिन्न विभागों की टीम मौके पर पहुंची और इंजन को पटरी पर लाने का प्रयास शुरू कर दिया।
डीआरएम निरीक्षण के दौरान ही मिली जानकारी
संयोगवश उत्तर रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) उस समय वाराणसी कैंट स्टेशन पर यात्री सुविधाओं और परियोजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। जैसे ही उन्हें इंजन डिरेल होने की सूचना मिली, उन्होंने अफसरों को घटनास्थल पर भेजा और तत्काल रूट क्लियर कराने के निर्देश दिए।
परिचालन पर सीमित असर, प्लेटफॉर्म बदले गए
स्टेशन डायरेक्टर अर्पित गुप्ता ने बताया कि घटना के बाद कुछ गाड़ियों को रोका गया है, जबकि अन्य को वैकल्पिक प्लेटफॉर्म से निकाला जा रहा है। प्लेटफॉर्म नंबर 1 और 2 पर आने वाली ट्रेनों को अस्थाई रूप से अन्य लाइनों से चलाया जा रहा है। इंजीनियरिंग टीम का कहना है कि स्थिति सामान्य करने में लगभग एक घंटे का समय लग सकता है।