एक ही परिवार के तीन लोगों की खुदकुशी के बीच पहेली बनी मासूम नाती की मौत 

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वाराणसी। गाजीपुर के सादात थाना क्षेत्र का जनार्दन तिवारी छह साल पहले परिवार को पालने के लिए बनारस आया था। इस दौरान जनार्दन ने रोजगार करने की सोची लेकिन पूंजी का अभाव बाधक बना रहा। इसके बाद जर्नादन ने घाटों पर चाय बेचना शुरू किया। यह परिवार दो साल से लालजी साहनी के मकान में किराये का कमरा लेकर रह रहा था।

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चाय के इस धंधे में बेटे भी सहयोगी बने लेकिन बिक्री के पैसों को लेकर पिता-पुत्रों में आयेदिन विवाद होने लगा। पिता जनार्दन (67) और अश्विनी (27) शराब के आदी हो चुके थे। भरत भी चपेट में आ गया था। रात में पिता व पुत्र चाय बेचकर कमरे पर पहुंचे। साथ में देशी शराब की दो शीशियां भी लाये थे। दारू पीने के बाद खाना खाना था तभी बिक्री के पैसों को लेकर फिर विवाद होने लगा। करीब एक घंटे तक विवाद व मारपीट होती रही। छोटा नाती दीपू पिता-पुत्र के झगड़े को शांत कराने की कोशिश करता रहा। लेकिन वह नही माने।

आसपास के लोग भी रोज-रोज के झगड़े से तंग आ चुके थे। इसलिए उन्होंने बीच में पड़ना मुनासिब नही समझा। एक घंटे बाद झगड़े की आवाज बंद हो गयी। पड़ोसियों ने सोचा कि अब सब सो गये। उन्हें क्या पता था कि बच्चा समेत उन्होंने जहरीला पदार्थ खा लिया है। उधर, भरत चाय बेचकर देर रात घर लौटा। अक्सर रात में लौटने पर घर का दरवाजा नही खुलता था। बुधवार की रात भी उसने दरवाजा बंद देखा तो बगल में मंदिर के पास सो गया। सुबह उठा और दरवाजा खोलवाने की कोशिश की तब इस वारदात का पता चला। लेकिन इस घटना के कई पहलू भी सामने आ रहे हैं। जनार्दन जिस नाती दीपू को पढ़ाने के लिए लाया था उसे क्यों जहर दिया गया यह समझ से परे है ? पास के थाली में खाना बचा था। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि खाने में ही जहर मिलाया गया था। मौके पर सल्फास की गोली के टुकड़े और शराब की खाली दो शीशियां मिली हैं।  सबसे अहम सवार तो यह है कि जो जनार्दन अपने परिवार की जीविका के लिए घाटों पर चाय बेचकर जिंदगी से सघर्ष कर रहा था।

इस संघर्ष में उसे दो बेटे भी शामिल थे तो अचानक उन्होंने मौत का रास्ता क्यों चुना ? इसके पीछे आयेदिन कलह एक वजह हो सकती है लेकिन इसके लिए झगड़ा करनेवाले पिता-पुत्र का जीवन को समाप्त करने का निर्णय तो शायद हो सकता है लेकिन नाती की जिंदगी उस झगड़े या कलह की भेंट क्यों चढ़ी ? पिता-पुत्र के जहर खाकर खुदकुशी की बात किसी तरह गले के नीचे उतर भी जाय तो आठ साल के बच्चे की मौत अभी पहेली बनी हुई है। यह ऐसे सवाल है जो या तो मरनेवालों के करीबी और उनके परिवार के लोग ही शायद बता सकते हैं। हालांकि पुलिस ने परिवारवालों को सूचना दे दी और वह रवाना भी हो चुके हैं।  
 

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