प्रदर्शनी में दिखी आपातकाल की विभीषिका, मेयर बोले, इमरजेंसी को नहीं भूलेगा देश, लोकतंत्र की रक्षा को देशवासी सजग
वाराणसी। भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्याय, आपातकाल लागू होने की 50वीं बरसी पर वाराणसी में सूचना विभाग द्वारा "भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय" और "अनैतिक संशोधन से संविधान पर हमला" विषय पर आधारित एक चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। नगर निगम के सामने शहीद पार्क में आयोजित इस प्रदर्शनी का उद्घाटन जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्या और महापौर अशोक तिवारी ने फीता काटकर किया। प्रदर्शनी में 50 चित्र किट्स के माध्यम से आपातकाल की विभीषिका को दर्शाया गया, जो आम जनमानस के लिए सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक निःशुल्क सुलभ रहेगी।

महापौर ने कहा कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल ने संविधान की आत्मा को कुचल दिया। संसद की आवाज दबाई गई, न्यायपालिका पर नियंत्रण की कोशिश की गई, और गरीबों, वंचितों व दलितों को विशेष रूप से निशाना बनाया गया। उन्होंने 42वें संशोधन को कांग्रेस की तानाशाही सोच का प्रतीक बताते हुए कहा कि इस प्रदर्शनी के माध्यम से लोग आपातकाल के अनैतिक कार्यों से अवगत होंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि वर्तमान सरकार संविधान के मूल्यों को मजबूत करने और विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है। देशवासी आपातकाल की विभीषिका को कभी नहीं भूलेंगे और लोकतंत्र की रक्षा के लिए सजग रहेंगे।

प्रदर्शनी में आपातकाल के विभिन्न पहलुओं को चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, मई 1976 तक करीब 7,000 पत्रकारों और मीडिया कर्मियों को गिरफ्तार किया गया। 1971 में इंदिरा गांधी पर चुनावी धांधली का मुकदमा, 12 जून 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें अयोग्य ठहराया जाना, मीडिया पर सेंसरशिप, प्रेस ऑफिसों की बिजली कटौती, और इंडियन एक्सप्रेस व स्टेट्समैन जैसे अखबारों द्वारा खाली संपादकीय छापने जैसे साहसिक विरोध को दर्शाया गया। 38वें, 39वें, 40वें और 42वें संशोधनों के जरिए कार्यपालिका को असीमित अधिकार देने, मौलिक अधिकारों को सीमित करने, और संघीय ढांचे को कमजोर करने की कोशिशों को भी उजागर किया गया। शिक्षा पर नियंत्रण, किशोर कुमार जैसे कलाकारों पर प्रतिबंध, और स्कूली बच्चों तक को जेल में डालने जैसे तानाशाही कदमों को चित्रों में दर्शाया गया। उद्घाटन समारोह में अपर जिलाधिकारी नगर आलोक कुमार वर्मा, सहायक निदेशक सूचना सुरेंद्र पाल, सभासदगण, और भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे।


