स्वामी करपात्री प्राकट्योत्सव : करपात्री उद्घोष विश्व कल्याण का मूल मंत्र, दो विद्वानों को मिली उपाधि
वाराणसी। धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज की स्मृति में आयोजित 14 दिवसीय प्राकट्योत्सव के षष्ठ (छठे) दिन दुर्गाकुंड स्थित श्रीधर्मसंघ शिक्षा मंडल में करपात्र रत्न सम्मान समारोह का भव्य आयोजन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति नीरज तिवारी रहे। उन्होंने कहा कि स्वामी करपात्री के उद्घोष और विचार विश्व कल्याण के मूल मंत्र बन चुके हैं। उनके संदेशों को जीवन में अपनाकर आत्मिक आनंद की अनुभूति की जा सकती है।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि स्वामी जी का सम्पूर्ण जीवन मंदिर, शास्त्र और गौमाता की रक्षा को समर्पित रहा। उन्होंने जो विचार दिए, वे सूर्य के समान इस संसार को प्रकाशमान करते रहेंगे। धर्मसंघ स्वामी जी के संकल्पों पर सदैव अडिग रहेगा।

इस अवसर पर महामहोपाध्याय मणि द्रविड़ शास्त्री को ‘करपात्र रत्न’ से अलंकृत किया गया। उन्हें सवा लाख रुपये का चेक, प्रशस्ति पत्र, श्रीफल और दुशाला भेंट की गई। सम्मान धर्मसंघ पीठाधीश्वर, न्यायमूर्ति तिवारी, डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र एवं पं. जगजीतन पांडेय द्वारा प्रदान किया गया। मणि द्रविड़ शास्त्री ने कहा कि स्वामी करपात्री के उपदेशों में आंतरिक परिवर्तन की अद्भुत क्षमता है, जो जनमानस को प्रभावित करता है।
वहीं बीएचयू के पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. उपेंद्र पांडेय को ‘करपात्र गौरव’ सम्मान प्रदान किया गया। उन्हें 51 हजार रुपये, प्रशस्ति पत्र, श्रीफल और दुशाला प्रदान की गई। प्रो. पांडेय ने स्वामी करपात्री को अद्वैत वेदांत का अनुपम प्रतिनिधि बताया। कार्यक्रम की शुरुआत चारों वेदों के मंगलाचरण, दीप प्रज्ज्वलन और स्वामी करपात्री जी के चित्र पर माल्यार्पण से हुई। संचालन पं. जगजीतन पांडेय ने किया, विषय स्थापना डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने तथा स्वागत प्रो. ब्रजभूषण ओझा और राजमंगल पांडेय ने किया। कार्यक्रम में प्रो. राजाराम शुक्ल, प्रो. चंद्रमौली उपाध्याय सहित अनेक विद्वान उपस्थित रहे।

