स्वच्छ भारत मिशन: डेल्टा रैंकिंग व ओडीएफ प्लस मॉडल में वाराणसी प्रथम, शहरों की तर्ज पर अब ग्राम पंचायतों में भी उठ रहे कूड़े
ठोस कचरा प्रबंधन के तहत 475 ग्राम पंचायतों में 264 रिसोर्स रिकवरी सेंटर (आरआरसी) निर्मित हो चुके हैं। ग्राम पंचायत में ई-रिक्शा के माध्यम से सूखा एवं गीला कचरा को डोर-टू-डोर कलेक्शन का कार्य किया जा रहा है। कलेक्शन के उपरांत कचरा को आरआरसी पर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं, सफाई कर्मी एवं मजदूर के माध्यम से सेग्रीगेशन करके अलग-अलग किया जा रहा है।
सेग्रीगेशन के उपरांत प्लास्टिक बोतल तथा अन्य धातु को कबाड़ी को बेच दिया जाता है तथा अनुपयोगी प्लास्टिक के निस्तारण के लिए प्लास्टिक वेस्ट प्रबंधन यूनिट में भेजा जाता है। जबकि नापेड के माध्यम से गीले कचरे से खाद बनायी जाती है। वर्मी कंपोस्ट विधि से जैविक खाद तैयार किया जा रहा है। इसको प्राकृतिक खेती के लिए प्रयोग किया जा रहा है तथा किसानों को उपलब्ध कराया जाता है। भविष्य में सभी विकास खंडों में इसके लिए विक्रय केंद्र खोले जायेंगे।
जानकारी के मुताबिक, यूजर चार्ज के रूप में ग्राम पंचायत की तरफ से निर्धारित शुल्क को ई-रिक्शा एवं पंचायत भवन में लगे दफ कोड के माध्यम से जमा किए जाने की व्यवस्था है। कबाड़ी एवं यूजर चार्ज से बड़ागांव ब्लॉक के बसनी में 11900 रुपये तथा चिरईगांव ब्लॉक के मोकलपुर में 7500 रुपये का आय हुआ है।
तरल अपशिष्ट प्रबंधन के अंतर्गत ग्राम पंचायत में ग्रे वॉटर का प्रबंधन सोक पीट, नाली, फिल्टर चेंबर के माध्यम से किया जा रहा है। 197 फिल्टर चेंबर निर्मित कर तालाब में ग्रे वॉटर को साफ कर गिराया जा रहा है। फ्लोटिंग वेट लैंड विधि के माध्यम से केना प्लांट पौधे व थर्माकोल के सहारे तालाब के पानी के बीच में रखकर जल प्रदूषण को स्वच्छ व साफ करने के लिए कार्य किया जा रहा है। ग्राम पंचायतों के 73 तालाबों में यह कार्य किया गया है।
जिले में तीन प्लास्टिक वेस्ट प्रबंधन यूनिट
प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के अंतर्गत जिले में तीन प्लास्टिक वेस्ट प्रबंधन यूनिट है। जिसमें सेवापुरी ब्लॉक के ग्राम पंचायत भीषमपुर में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट संचालित हो गया है एवं लुम्प बनाकर सड़क निर्माण कार्य में प्रयोग होगा। पांच विकास खंडों में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट नही होने के कारण समस्त 427 ग्राम पंचायत की तरफ से प्लास्टिक प्रोसेसिंग संस्थाओं से अनुबंध किया गया है, जो ग्राम पंचायत से प्लास्टिक क्रय कर उसकी रीसाइक्लिंग कर प्लास्टिक की उपयोगी वस्तु जैसे फर्नीचर, टेबल, चेयर, डस्टबिन इत्यादि का निर्माण करेगी। मेरा प्लास्टिक मेरी जिम्मेदारी के तहत सभी विकास खंडों के समस्त ग्राम पंचायत में सार्वजनिक स्थान पर 22082 बोरी टांगकर प्लास्टिक को खुले वातावरण में जाने से रोका जा रहा है। इससे पर्यावरण के साथ-साथ पशुधन को भी प्लास्टिक के खतरों से बचाने का काम हो रहा है। स्वयं सहायता समूह की महिलाओ को 694 ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय में केयर टेकर तथा 199 आरआरसी में रोजगार दिया गया है।
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