एकादशी पर खूब चमका गन्ने का व्यापार, वाराणसी में वर्ष में एक दिन का है बाजार

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वाराणसी। एकादशी पर गन्ने के कारोबार में काफी वृद्धि हुई है। वैसे तो गन्ने का कारोबार छठ से ही शुरू हो जाता है, लेकिन पूर्वांचल में इसकी सबसे ज्यादा खपत एकादशी पर ही होती है। मान्यता है कि एकादशी (Ekadashi) पर गन्ने से भगवान का मंडप बनाया जाता है, जिससे भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न होते हैं। एकादशी के दिन गन्ने के व्यापार में काफी वृद्धि हो जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और तुलसी के विवाह में गन्ने का मंडप बनाया जाता इसी दिन से किसान गन्ने की नई फसल की कटाई का काम शुरू करते हैं। इसी कारण इस दिन गन्ने का विशेष महत्व होता है। 

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दरअसल, मौसम बदलने के साथ ही लोग गुड़ के सेवन को लाभकारी मानते हैं। गुड़ का निर्माण भी गन्ने के रस से होता है। सनातन धर्म में मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले मीठे का सेवन अत्यंत आवश्यक होता है। गन्ने को मीठे का स्रोत माना जाता है। इसलिए इस दिन गन्ने की पूजा का महत्त्व काफी बढ़ जाता है।

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बनारस की कई मंडियों में गन्ने का भरमार लगा हुआ है। आमतौर पर 10-15 रुपए में बिकने वाला गन्ना 25-30 रुपए में बिक रहा है। बीते साल की तुलना में इस बार गन्ना काफी महंगा है। व्यापारियों का अनुमान है कि बनारस में गन्ने का व्यापार 25-30 लाख रुपए तक पहुंच सकता है। वाराणसी के विश्वेश्वरगंज, पहड़िया, कज्जाकपुरा, पंचक्रोशी, चौकाघाट, लंका, रामनगर आदि जगहों पर गन्ने की बिक्री के लिए मार्केट तैयार हैं। 

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गन्ना बेचने वाले दुकानदार मोहित कुमार ने बताया कि इस बार गन्ने का दाम पिछले साल की अपेक्षा थोडा बढ़ा है। हालांकि बढ़े रेट के बावजूद लोग इसे खरीद रहे हैं। इस बार गन्ना फुटकर में 20-25 रुपए प्रति पीस के हिसाब से बिक रहा है।

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