काशी विद्यापीठ में स्केलिंग मेथड के विरोध में छात्रों का उग्र प्रदर्शन, हथकड़ी और बेड़ी पहनकर जताया विरोध, भूख हड़ताल पर बैठे छात्र की तबीयत बिगड़ी

वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में प्रवेश प्रक्रिया में लागू स्केलिंग मेथड के विरोध में छात्र संगठनों का आंदोलन लगातार उग्र होता जा रहा है। अनिश्चितकालीन धरने के 28वें दिन और भूख हड़ताल के पांचवें दिन छात्रों ने गले और हाथों में बेड़ी व हथकड़ी पहनकर विश्वविद्यालय प्रशासन की नीतियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी की। साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन के स्केलिंग मेथड को छात्र विरोधी और संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की।
छात्र नेता शिवम यादव, करण प्रजापति, आशीष गोस्वामी, रविंद्र सिंह पटेल, आशीष मौर्य, सोनू और विनोद यादव सहित कई छात्र आंदोलन में शामिल रहे। आंदोलन के दौरान भूख हड़ताल पर बैठे छात्र नेता करण प्रजापति तेज धूप और कमजोरी के कारण बेहोश हो गए, जिन्हें तत्काल कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल ले जाया गया। इससे पहले भी छात्र जतिन पटेल की तबीयत बिगड़ चुकी है। छात्र नेताओं का कहना है कि अगर इस आंदोलन में किसी छात्र की जान जाती है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।
प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय ने स्केलिंग मेथड के तहत एक प्रावधान जारी किया है जिसमें दो उम्मीदवारों के अंक समान होने की स्थिति में उम्र के आधार पर प्राथमिकता दी जाएगी। उनका आरोप है कि यह नियम संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 15 (जाति, धर्म, भाषा के आधार पर भेदभाव निषेध) और अनुच्छेद 29(2) (शैक्षणिक संस्थानों में समान अवसर) का सीधा उल्लंघन है। छात्र नेता शिवम यादव ने कहा कि यह विश्वविद्यालय प्रशासन की तानाशाही है और यह स्केलिंग प्रणाली गरीब छात्रों को शिक्षा से वंचित करने की साजिश है।
इस पूरे मामले पर विश्वविद्यालय के मुख्य प्रॉक्टर प्रो. के.के. सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि छात्र जिन मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं, वे विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं। उन्होंने बताया कि प्रवेश प्रक्रिया शासन के निर्देशानुसार चलाई जा रही है, जिसमें कुछ कोर्सेस में मेरिट और कुछ में प्रतियोगी परीक्षा के आधार पर प्रवेश किया जाएगा। स्केलिंग पद्धति को सभी अभ्यर्थियों के साथ समान व्यवहार के लिए लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि अधिकतर छात्र इस प्रक्रिया से संतुष्ट हैं और विभिन्न छात्र समूहों से बातचीत भी हो चुकी है। हालांकि, कुछ छात्र अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं, जिसे पूरा किया जाना वर्तमान परिस्थितियों में संभव नहीं है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि आंदोलन कर रहे छात्रों को कई बार समझाया गया है, लेकिन वे अपनी जिद पर अड़े हैं।