मानव जीवन के विकास की गाथा जानेंगे कक्षा 6 से 12 तक के छात्र, विद्यालयों में तीन घंटे का कार्यक्रम, 20 वर्षों के डीएनए शोध का होगा प्रजेंटेशन 

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वाराणसी। मानव विकास की नवनीनतम डीएनए शोधों पर आधारित गाथा को कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों तक पहुंचाने के लिए अमेरिकन संस्था सोसाइटी फार द स्टडी आफ इवोल्यूशन (एसएसई) ने काशी हिन्दू विश्व विद्यालय को 1000 अमेरिकी डालर का अनुदान दिया है। एसएसई की इस परियोजना को मूर्त रूप देंगे विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग के डीएनए वैज्ञानिक प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे व उनके शोध छात्र। विश्व में मानव विकास पर शोध व अध्ययन को बढ़ावा देने वाली इस संस्था ने इस वर्ष अपनी परियोजना के लिए दुनिया के पांच देशों के छह संस्थानों के विज्ञानियों को चयनित किया है। इनमें अमेरिका के दो, कनाडा, अर्जेंटीना, जर्मनी व भारत के एक-एक संस्थान हैं।

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20 किलोमीटर के 10 हजार स्टूडेंट्स को मिलेगा DNA का ज्ञान
प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि इस परियोजना के अंतर्गत बनारस व उसके आसपास के 20 किमी की परिधि में आने वाले सरकारी विद्यालयों में छात्रों को मनुष्यों की विकासवादी यात्रा में शामिल किया जाएगा। इसके तहत 10 हजार स्टूडेंट्स को हम मनुष्यों के पूर्वजों की वंशावली, जैविक विविधता और मानव उत्पत्ति का अध्ययन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले वैज्ञानिक तरीकों की समझ को भी छात्रों में बढ़ावा देना इसका उद्देश्य है। इसमें डीएनए अध्ययन एक टाइम मशीन की तरह कड़ियों को जोड़ता जाएगा। 

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20 वर्षों के शोध का होगा प्रेजेंटेशन 
प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि प्रत्येक विद्यालय में तीन घंटों का कार्यक्रम होगा, इसमें विकास की अवधारणा और मानव उत्पत्ति को समझने के लिए डीएनए अध्ययन की प्रासंगिकता का परिचय देने के साथ ही मानव इतिहास में हाल में हुई प्रगति जैसे कि अफ्रीका से बाहर प्रवास, हिमालयन, अंडमान, आस्ट्रोएशियाटिक, द्रविड़, भारतीय यहूदी, सिद्दी, रोमा, अहोम, वेड्डा और पारसी सहित अंडमान द्वीपवासी और दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया पर हमारे 20 वर्षों के शोध अध्ययन को छात्र जान सकेंगे। 

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मानव विकास, अनुकूलन और प्राकृतिक चयन का देगे ज्ञान
छात्रों को मानव विकास, अनुकूलन और प्राकृतिक चयन जैसे प्रमुख शब्दों और उनके उदाहरणों, जैसे कि त्वचा रंजकता, उच्च ऊंचाई अनुकूलन और डेनिसोवन्स, लैक्टोज सहिष्णु जीन और दूध पाचन की क्षमता को भी संक्षेप में समझाया जाएगा। इसमें आठ शोध छात्रों की टीम पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन, पोस्टर प्रस्तुति, हैंडआउट, प्रिंट अध्ययन सामग्री और विज्ञान कामिक्स के माध्यम से विषय को रोचक बनाएगी तो साथ ही डीएनए परीक्षण के तरीके भी छात्रों को हैंड्स आन ट्रेनिंग के माध्यम से विद्यालय में ही करना बताएंगे। मनुष्यों के विकासवादी वृक्ष, डीएनए फिंगरप्रिंटिंग और रोग आनुवंशिकी को प्रस्तुत करते हुए छात्रों को डीएनए फिंगर प्रिंटिंग आदि गूढ़तम विषय को स्वयं करने का अवसर देकर उनमें विज्ञान के प्रति रुचि जागृत की जाएगी। साथ ही छात्रों के छोटे-छोटे समूहों को फिंगरप्रिंट पैटर्न की पहचान, उत्परिवर्तन आदि को समझाने के लिए कुछ रोचक क्रियाएं भी कराई जाएंगी।

क्या है एसएसई
सोसाइटी फार द स्टडी आफ इवोल्यूशन (एसएसई) की स्थापना मार्च, 1946 में हुई थी। यह सोसाइटी वैज्ञानिक पत्रिका इवोल्यूशन प्रकाशित करती है और यूरोपियन सोसाइटी आफ इवोल्यूशनरी बायोलाजी के साथ इवोल्यूशन लेटर्स का सह-प्रकाशन करती है। एसएसई वार्षिक बैठकों का आयोजन करती है जिसमें विकासवादी जीव विज्ञान पर वैज्ञानिक निष्कर्ष प्रस्तुत किए जाते हैं और उन पर चर्चा की जाती है। यह संस्था विकासवादी जीव विज्ञान अनुसंधान, शिक्षा, अनुप्रयोग, आउटरीच और समुदाय निर्माण को न्यायसंगत और वैश्विक रूप से समावेशी तरीके से बढ़ावा देती है।

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