बीएचयू में पीएचडी नियमावली के खिलाफ छात्रों का प्रदर्शन जारी, सेंट्रल ऑफिस पर जड़ दिया ताला, प्रशासन पर भेदभाव का आरोप

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वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में पीएचडी प्रवेश की नई नियमावली के खिलाफ छात्रों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। कुलपति प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन के फेयरवेल के बाद छात्रों ने केंद्रीय कार्यालय पर ताला जड़ दिया। छात्रों का आरोप है कि कुलपति ने उन्हें भ्रमित किया और जाने से पहले पीएचडी प्रवेश का नोटिफिकेशन जारी कर उनकी मांगों को अनदेखा कर दिया।

छात्रों का आरोप: जेआरएफ को प्राथमिकता, अन्य अभ्यर्थी वंचित

छात्रों का कहना है कि नई परीक्षा नियमावली दोषपूर्ण है, क्योंकि इसमें केवल जेआरएफ उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी गई है। इससे यूजीसी नेट और श्रेणी-3 (क्वालिफाइड फॉर पीएचडी) के योग्य उम्मीदवार नामांकन से वंचित रह जाएंगे। छात्रों ने इसे भेदभावपूर्ण करार दिया और विश्वविद्यालय प्रशासन से इसे सुधारने की मांग की।

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यूजीसी के दिशा-निर्देश और छात्रों की आपत्ति

प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह नई नियमावली विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा जारी की गई है और सभी विश्वविद्यालयों से इसे लागू करने का अनुरोध किया गया है। हालांकि, छात्रों का तर्क है कि बीएचयू एक स्वायत्तशासी विश्वविद्यालय है और वह अपने नियम बनाने के लिए स्वतंत्र है।

छात्र संघर्ष समिति ने दी चेतावनी

छात्र संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि उनकी मांगें जायज हैं और वे लगातार बातचीत के जरिए समाधान निकालने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन यदि प्रशासन ने उनकी मांगों पर विचार नहीं किया तो आंदोलन तेज किया जाएगा। छात्र दिव्यांश दुबे ने बताया कि विभिन्न कमेटियों के साथ बातचीत के बावजूद छात्रों की मांगों को दरकिनार करते हुए "चोर दरवाजे" से नोटिफिकेशन जारी किया गया।

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प्रदर्शन रहेगा अनिश्चितकालीन

छात्रों का कहना है कि उनकी मांगें पूरी होने तक यह प्रदर्शन अनिश्चितकाल तक जारी रहेगा। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन पर संवाद से बचने का आरोप लगाया और कहा कि परीक्षा नियंत्रक ने भी उनसे मिलने से इनकार कर दिया।

छात्रों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने सकारात्मक रुख नहीं दिखाया तो आंदोलन और बड़े स्तर पर होगा। प्रदर्शनकारी छात्र इस मुद्दे पर विश्वविद्यालय प्रशासन से तत्काल समाधान की मांग कर रहे हैं।

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