भाई की लंबी आयु के लिए बहनों ने रखा व्रत, शंकुलधारा पोखरा पर निभाई गई परंपरा

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वाराणसी। शंकुलधारा पोखर पर बड़े ही हर्षोल्लास के साथ बहनों ने भैया दूज पर पूजा कर परंपरा का निर्वाहन किया। भाईदूज पर बहने अपने भाईयो के लंबी उम्र को लेकर यह पूजा बड़े विधि विधान के साथ करती हैं। मंगलवार को बहन-भाई के प्यार का प्रतीक भाई दूज पर इकट्ठा हुई और बड़े उल्लास के साथ मनाया गया बहनों ने भाई की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए कामना की।
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वही काशी में दीपावली की रौनक भैयादूज के दिन भी खूब दिखाई दी। मान्यताओं के अनुसार भाई दूज की शुरुआत द्वापर युग से हुई। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य की संज्ञा से दो संतान थी, पुत्र यमराज व पुत्री यमुना। यमुना और यमराज में बहुत प्रेम था। वह जब भी यमराज से मिलने जाती, उन्हें अपने घर आने को कहती लेकिन व्यस्तता के चलते यमराज नहीं जा पाते। एक दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीय को यमराज अचानक अपनी बहन यमुना के घर पहुंच गए। यमुना ने अपने भाई का आदर सत्कार करते हुए तिलक लगाया और स्वादिष्ट भोजन भी कराया।
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 यमराज अपनी बहन की सेवा से बहुत प्रसन्न हुए और वर मांगने को कहा। यमुना ने अपने भाई के आग्रह को स्वीकार करते हुए कहा कि आप यह वर दीजिए कि प्रतिवर्ष आज के दिन आप यहां आएंगे और मेरा आतिथ्य स्वीकार करेंगे। वहीं इस दिन जो भाई अपनी बहन के घर जाकर आतिथ्य स्वीकार करेगा, आप उसे दीर्घायु का आशीर्वाद देंगे। तभी से हर वर्ष कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीय को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है।
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