काशी में सिग्नेचर ब्रिज से विकास को मिलेगी रफ्तार, वाराणसी से चंदौली, बिहार और झारखंड का सफर होगा आसान, एक दिन पहले पीएम ने किया जिक्र
मालवीय पुल से 50 मीटर की दूरी पर गंगा नदी में बनने वाला यह करीब एक किलोमीटर लंबा सिग्नेचर ब्रिज देश का पहला ऐसा ब्रिज होगा। भारत में अब तक किसी भी नदी पर सिक्स लेन सड़क और चार लेन रेलवे ट्रैक वाला पुल नहीं बनाया गया है। 2500 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस सिग्नेचर ब्रिज को 2028 तक तैयार कर लिया जाएगा। रेलवे ने इस परियोजना से जुड़ी सभी कागजी बाधाओं को पार कर डीपीआर को अंतिम रूप दे दिया है। हाल ही में केंद्र सरकार ने भी अपनी स्वीकृति दे दी है। इस ब्रिज के बनने से वाराणसी, चंदौली, मिजार्पुर, सोनभद्र और बिहार जैसे क्षेत्रों के बीच बेहतर कनेक्टिविटी हो जाएगी।
मालवीय पुल का निर्माण 1887 में अंग्रेजों के शासनकाल में हुआ था, लेकिन पिछले 15 वर्षों से इस पुल पर भारी वाहनों और बसों का आवागमन प्रतिबंधित है। सिग्नेचर ब्रिज परियोजना से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि गंगा पर बनने वाला यह सिग्नेचर ब्रिज करीब एक किलोमीटर लंबा होगा। अगले एक से दो महीनों में इसके बजट और टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि इस पुल को खास इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इसमें सिक्स लेन की सड़क होगी और उसके नीचे चार लेन का रेलवे ट्रैक बिछाया जाएगा। इस तरह का डिजाइन देश की किसी भी नदी पर अभी तक नहीं देखा गया है।
90 से 100 की रफ़्तार से चलेंगी ट्रेन
फिलहाल मालवीय पुल से गुजरने वाली ट्रेनों की रफ्तार 40 किलोमीटर प्रति घंटा है, जबकि मालगाड़ियाँ और भी धीमी चलती हैं। नए सिग्नेचर ब्रिज पर चार लेन के रेलवे ट्रैक के निर्माण के बाद यात्री ट्रेनें 90 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकेंगी।
पड़ाव चौराहे का भी क्षेत्रफल बढ़ेगा
सिग्नेचर ब्रिज के साथ-साथ इसके दोनों ओर की सड़कों की चौड़ाई भी बढ़ाई जाएगी। सिक्स लेन सड़क के अनुसार अन्य सड़कें भी बनाई जाएंगी, और पड़ाव चौराहा 200 मीटर तक चौड़ा किया जाएगा। इसके साथ ही रामनगर-टेंगरा मोड़ और पड़ाव-पीडीडीयूनगर मार्ग को भी फोरलेन किया जाएगा।
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