टेलीग्राम ग्रुप के जरिए महिला से 40 लाख की ठगी करने वाले सरगना समेत 7 इंटरस्टेट शातिर गिरफ्तार, ज्यादा कमाने का लालच देकर लोगों को बनाते थे शिकार
वाराणसी। इनवेस्टमेंट कराने के नाम पर लोगों के साथ लाखों की साइबर धोखाधडी करने वाले गैंग के सरगना सहित 7 इंटरस्टेट साइबर अपराधियों को साइबर पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उनके पास से भारी मात्रा में पुलिस ने एटीएमकार्ड, सिमकार्ड, नकदी व अन्य सामग्री बरामद किया है। इसका खुलासा डीसीपी वरुणा जोन चंद्रकांत मीणा ने बुधवार को किया।
इस मामले में भेलूपुर थाना क्षेत्र के अस्सी की रहने वाली संभावना त्रिपाठी ने साइबर थाने में 18 दिसंबर 2023 को मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें उन्होंने बताया था कि साइबर अपराधियों ने कार बुकिंग का टास्क पूरा करने के नाम पर विभिन्न टेलीग्राम ग्रुपों तथा वेबसाइट के माध्यम से अपने झांसे में लेकर कुल 39 लाख 15 हजार 816 रूपये की साइबर ठगी कर ली गयी है। जिसके बाद पुलिस ने आईटी एक्ट व संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच पड़ताल में जुट गई।
आरोपियों की धरपकड़ के लिए पुलिस ने टीमें गठित की थी। पुलिस ने घटना में प्रयुक्त वेबसाइट, टेलीग्राम खातों मोबाइल नम्बरों तथा बैंक खातों के गहन विष्लेषण तथा इलेक्ट्रानिक सर्विलांस व डिजिटल फूटप्रिंट आदि के आधार पर इन्दौर मध्य प्रदेश से उक्त गैंग के सरगना सहित 7 इंटरस्टेट साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया। उनके कब्जे से भारी मात्रा मे एटीएम, चेकबुक, पासबुक, इन्टरनेट बैंकिग स्लिप, फर्जी कूटरचित आधारकार्ड, पैनकार्ड, सिमकार्ड तथा 14 हजार 600 रुपए नकदी बरामद की गयी है।
गिरफ्तार अभियुक्त जितेन्द्र अहीरवार, कमलेश किरार, रामलखन मीना, संजय मीना, अमोल सिंह, सोनू शर्मा व निक्की जाट मध्य प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के रहने वाले हैं। इन लोगों ने पहले भी कई ठगी की है। जिसकी पुलिस जांच कर रही है।
डीसीपी ने घटना का खुलासा करते हुए बताया कि आरोपी पहले ब्राण्डेड कम्पनियों के ओरिजिनल बेबसाइट से मिलती जुलती फर्जी वेबसाइट बनाते हैं। उसके बाद बल्क sms फीचर का प्रयोग करते हुए एक साथ हजारो लोगो को पार्ट टाइम जॉब, इन्वेस्टमेंट आदि में अच्छा लाभ कमाने का प्रलोभन देते हैं। जब कोई व्यक्ति इनके झांसे में आता है तो यह उसको छोटी छोटी धनराशि उसके खातों मे क्रेडिट कर बड़ा धन कमाने का लालच दे देते हैं। इसके बाद यह लोग लोगो को इनके बनाये गये वेबसाइट तथा टेलीग्राम ग्रुप मे जोड़ते हैं। जहां पर इनके ही सिन्डीकेट्स के द्वारा बड़ी धनराशि का स्क्रीनशॉट भेजा जाता है। जिससे लोग लालच में आकर पूर्णतः इनके झांसे में आ जाते है।
इसके बाद इनके द्वारा इन्वेस्टमेंट से सम्बन्धित तमाम प्लान बताते हुए तथाकथित कम्पनी के बैंक खातों में पैसे डलवा लिए जाते हैं। यह पैसा उस कम्पनी के फर्जी बेबसाइट पर यूजर के एकाउन्ट में दिखता है तथा इनवेस्टमेंट का लाभ भी दुगुना तिगुना दिखता है। जिससे लोग और भी विश्वास में आकर बड़ी रकम इन्वेस्ट करते जाते हैं। बाद में जब लोग अपना पैसा निकालना चाहते हैं तो पैसा निकलता ही नहीं है क्योंकि यह पैसा साइबर अपराधियों द्वारा लोगो का अपने झांसे मे लेने के लिए फ्लैश एमाउन्ट दिखाया जाता है जोकि वास्तव में होता ही नहीं है।
आरोपियों ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि उक्त सारा कृत्य इन साइबर अपराधियों द्वारा वर्चुअल मशीन के माध्यम से विदेशों के IP एड्रेस जैसे चाइना, सिंगापुर, थाईलैण्ड, कम्बोडिया व दुबई आदि द्वारा किया जाता है। जिससे इनकी पहचान छुपी रहे और पुलिस की पहुंच से दूर रहे। इस प्रकार प्राप्त सभी पैसों को इनके द्वारा एपीआई/कार्पोरेट बैंकिग में बल्क ट्रान्सफर के माध्यम से सेकेण्ड के अन्दर ही फर्जी गेमिग एप के हजारो यूजरों के बैंक खातों व अपने अन्य सिन्डीकेट के खातो में भेज दिया जाता है तथा विभिन्न माध्यमों से निकलवा लिया जाता है।
आरोपियों की गिरफ़्तारी करने वाली टीम में साइबर थाना प्रभारी विजय नारायण मिश्र, हेड कांस्टेबल रविकान्त जायसवाल, एसआई राज किशोर पाण्डेय, हेड कांस्टेबल गौतम कुमार, कांस्टेबल चन्द्रशेखर यादव, महिला दरोगा अनीता सिंह, दरोगा राकेश कुमार गौतम, एसआई सतीश सिंह, एसआई नीलम सिंह, कांस्टेबल देवेन्द्र यादव, कांस्टेबल पृथ्वीराज सिंह, हेड कांस्टेबल श्याम लाल गुप्ता, कांस्टेबल दिलीप कुमार, हेड कांस्टेबल आलोक कुमार सिंह, कांस्टेबल सूर्यभान सिंह, कांस्टेबल अनिल मौर्या, हेड कांस्टेबल प्रभात द्विवेदी, कांस्टेबल अवनीश सिंह, हेड कांस्टेबल राजेन्द्र पाण्डेय, कांस्टेबल अंकित प्रजापति, हेड कांस्टेबल गोपाल चौहान, कांस्टेबल ड्राइवर विजय कुमार शामिल रहे।
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