श्री काशी विश्वनाथ धाम में संगोष्ठी, मंदिर अर्थव्यवस्था का राष्ट्रीय उन्नति में योगदान पर चर्चा 

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वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ धाम (Shree Kashi vishwanath dham) स्थित त्रयंबकेश्वर सभागार (Trayambkeshwar hall) में गुरुवार को संगोष्ठी का आयोजन किया गया। काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास (Kashi vishwanath mandir nyas) व इंडिया थिंक काउंसिल (India think council) की ओर से आयोजित गोष्ठी में मंदिर अर्थव्यवस्था एवं धर्मक्षेत्र विकास का राष्ट्रीय उन्नति में योगदान विषय पर चर्चा हुई। इस दौरान विद्वतजनों ने अपने विचार रखे। 

 

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता मिजोरम के राज्यपाल के हरी बाबू (Mizoram state governer K. Hari babu) रहे। वे दो दिवसीय धार्मिक यात्रा पर वाराणसी (Varanasi) में आए हैं। राज्यपाल ने इस तीर्थयात्रा के क्रम में, अयोध्या (Ayodhya Ram mandir) से होते हुए काशी (Kashi) पहुंचे और गुरुवार सुबह सपत्नीक श्री काशी विश्वनाथ का दर्शन, पूजन किया। इसके उपरांत भौमेश्वर महादेव का रुद्राभिषेक किया। तत्पश्चात काशी कॉरिडोर विश्वनाथ का अवलोकन और मां गंगा का दर्शन भी किया।  

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उन्होंने संगोष्ठी में धार्मिक अर्थव्यवस्था तथा तीर्थाटन विकास पर अपने विचार रखे। राज्यपाल ने बताया कि सनातन परंपरा में बहुदेव पूजन प्रथा और मान्यता का परिणाम है कि भक्त अलग अलग स्थानों पर अपने आराध्य दर्शन हेतु तीर्थ यात्रा पर जाते हैं और तीर्थ यात्रा की समस्त आवश्यकताएं अर्थव्यवस्था में योगदान करती है। मंदिर की अर्थव्यवस्था से नए रोजगार सृजन तथा व्यापार को बढ़ावा मिलता है तथा समाज के हर वर्ग को अवसर मिलता है भले ही वह किसी अन्य धर्म का अनुयायी हो।  

 

राज्यपाल अपनी पहली काशी यात्रा पर आए हैं। उन्होंने कहा कि काशी आकर ऐसा लग ही नहीं रहा कि यहां पहली बार आए हैं। मंदिर की व्यवस्था और सौंदर्य अत्यधिक प्रभावशाली है। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत के प्रत्येक राज्य के ट्रेवल ऑपरेटर के साथ मिलकर ऐसी योजना बनायी जाए, जिससे उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थलों के टूर पैकेज का विकल्प पर्यटकों के समक्ष प्रस्तुत किया जा सके। इससे निकटवर्ती पहाड़ियों, जलप्रपातों, बड़ी वाटर बॉडीज एवं अन्य धर्मस्थलों इत्यादि के समेकित विकल्प के एक पैकेज में उपलब्ध होने पर और भी अधिक तीर्थ यात्री काशी दर्शन हेतु आएंगे।

 

संगोष्ठी में मंदिर के न्यासी सदस्य और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के विद्वत आचार्यजन तथा वैदिक विद्वान उपस्थित रहे। कार्यक्रम में स्वागत सम्बोधन न्यास के सदस्य ब्रजभूषण ओझा ने किया। इसके बाद काशी माहात्म्य तथा कॉरिडोर के विकास पर विस्तृत प्रकाश प्रख्यात विद्वान प्रो. जनार्दन माधव रटाटे ने प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण ने कहा कि काशी में यह स्थापित मान्यता है कि किसी देव विग्रह की विश्व में कहीं भी प्राण प्रतिष्ठा तब तक नहीं पूर्ण होती जब तक उसकी अंश स्थापना काशी में न की जाए। यही कारण है कि द्वादश ज्योतिर्लिंग, 51 शक्तिपीठ, चारों धाम समेत समस्त पौराणिक मंदिरों की प्रतिकृति यहां स्थापित हैं। इसी प्रकार यह भी स्थापित मत है कि किसी विद्वान की विद्वता तब तक मान्य नहीं होती जब तक उसे काशी का विद्वत् समाज मान्यता न प्रदान करे। कार्यक्रम का संचालन कर रहे इंडिया थिंक काउंसिल के निदेशक सौरभ पाण्डेय ने अत्यंत अल्प समय में राज्यपाल की ओर से कार्यक्रम के लिए सहमति देने तथा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की ओर से इतना भव्य आयोजन सुनिश्चित करने पर आभार व्यक्त किया।

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