सीर गोवर्धनपुर पहुँचने लगे रैदासी, मिनी पंजाब में तब्दील होगा 5 किलोमीटर तक का एरिया, 10 देशों से आएंगे भक्त

ravidas jayanti
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वाराणसी। रविदास जयंती पर लाखों श्रद्धालु सीर गोवर्धनपुर खींचे चले आते हैं। देश के साथी विदेश से भी लोग यहां पर दर्शन पूजन करने पहुंचते हैं। हजारों की संख्या में एनआरआई भी पहुंचते हैं। बेगमपुर से संत निरंजन दास के साथ भी लाखों की संख्या में अनुयाई पहुंचते हैं। 12 फरवरी को रविदास जयंती पर भारत सहित 10 देशों के रैदासी संत रविदास का आशीर्वाद लेने के लिए काशी पहुंचेंगे। 

5 किलोमीटर के दायरे में लगने वाले इस जन्मोत्सव की तैयारी शुरू कर दी गई है। रैदासियों की सेवा करने के लिए पंजाब से 200 से अधिक सेवादारों का जत्था बनारस पहुंच गया। वहीं, सीर गोवर्धनपुर मेले का रंग दिखने लगा है। रैदासी दर्शन के लिए आने लगे हैं।

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10 दिनों तक चलेगा प्राकट्योत्सव

संत रविदास के प्राकट्योत्सव पर 10 दिनों तक उत्सव रहेगा। रविदास मंदिर से लेकर सीरगोवर्धन का पूरा इलाका मेले में तब्दील हो जाएगा। श्रीगुरु रविदास जन्म स्थान पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी केएल सरोवा ने बताया कि सेवादारों का पहला जत्था पहुंचा गया है। वहां से तीन ट्रक गेहूं, चावल व अन्य खाद्य सामग्री आ चुकी है। 

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संत निरंजन दास महाराज 10 फरवरी को पहुंचेंगे बनारस

केएल सरोवा ने बताया कि मैदान में सभा स्थल पर जर्मन हैंगर टेंट लग रहा है। जो तीन सौ फीट लंबा व सौ फीट चौड़ा है। मैदान के सामने ही करीब सौ और टेंट बनकर तैयार हो गए हैं।

इसमें हर राज्यों के अलग-अलग ठहरने के लिए टेंट बने हैं। इसके अलावा लंगर,सामग्री रखने आदि के लिए भी टेंट बने हैं। उन्होंने बताया कि ट्रस्ट के प्रमुख संत निरंजन दास महाराज 10 फरवरी को बनारस पहुंचेंगे।

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जैसा रूम वैसा दाम 

सीर में रैदासियों को ठहरने के लिए एक हफ्ता पहले से ही लोग अपने मकानों को खाली करना शुरू कर देते है। कई तो ऐसे रहते हैं, जो अपने बच्चों को रिश्तेदार के यहां एक हफ्ता के लिए भेज देते है। अपने रूम को एक हफ्ते के लिए भाड़े पर उठा देते हैं। एक-एक रूम को चार से पांच हजार रुपए में देते है। बड़ा बरामदा 2 से 3 हजार रुपए में देते हैं। 

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संत रविदास मंदिर की संपत्ति 

* रविदास मंदिर में मौजूदा समय में करीब 300 किलो सोना मौजूद हैं। 
* सोने की पालकी, दीप, छतर, मुकुट, स्वर्ण कलश संपत्ति में शामिल है
* मंदिर का शिखर भी स्वर्ण मंदिर की तर्ज पर है, दरवाजे पर सोना जड़ा हुआ है। 
* इसके अलावा मंदिर को करोड़ों रुपये नकद हर साल दान में मिलता है।

 

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