सांपों को मरता देख दर्द नहीं हुआ बर्दाश्त तो बना लिया दोस्त, मिर्जामुराद के रतन अब तक 10 हजार से ज्यादा सांपों की बचा चुके हैं जान

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-    सर्प मित्र के नाम से जानते हैं लोग

-    बताया कि सभी सांप विषैले नहीं होते

-    लोग अज्ञानता वश बस मार देते हैं

-    भारत में पायी जाती हैं सांपों की 300 से अधिक प्रजातियां 

वाराणसी। लोग सांपों का नाम सुनते डर जाते हैं परंतु सनातन धर्म में सांपों को भी पूजा जाता है। सांपों को विधि विधान के साथ लावा और दूध भी चढ़ाया जाता है। भगवान भोलेनाथ के गले में भी सांपों का माला लोगों ने देखा है। परंतु लोग अज्ञानता बस या भय बस सांपों को मारने से भी नहीं डरते हैं। 

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भारत में सांपों की लगभग 300 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं, जिसमें से केवल 7 से 8 प्रजातियां ही विषैली होती है। जिसके काटने से मनुष्य की मृत्यु होने की संभावना रहती है। फिलहाल जब सांपों को लोगों से खतरा महसूस होता है कि हमारे जान पर खतरा है तभी वह पशुओं या मनुष्यों पर हमला करते हैं या काटते हैं। लोग कम जानकारी के कारण सभी सांपों को मार देते हैं। सांप मनुष्यों के मित्र हैं। चूहे जब हमारी फसलों को तथा अन्य वस्तुओं को नुकसान करते हैं, तो यह सांप चूहा को खाकर उनकी संख्या को काम करते हैं जिससे यह किसानों के मित्र भी कहलाते हैं। परंतु आज हम बात कर रहे हैं सांपों के मित्र कहे जाने वाले रतन गुप्ता की। जो कि अब तक हजारों सांपों की जान बचा चुके हैं। 

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वर्षा का मौसम शुरू होते ही सांपों के निकलने का सिलसिला शुरू हो जाता हैं। वहीं एक ऐसा भी युवा शख्स है, जो विषधर सांपों का दोस्त है। सांपों को अभय प्रदान करने वाले रतन मिर्जामुराद बाजार में रहते हैं। रतन वैसे गैस स्टोव सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाने का कार्य करते हैं। परंतु लगभग 15 से 20 वर्षों से सांपों को सुरक्षित पकड़ने तथा उन्हें जंगलों में छोड़ने का कार्य करते हैं। धीरे-धीरे लोग रतन गुप्ता को जानने लगे हैं तथा घरों में सांप निकलने पर रतन को तत्काल फोन करते हैं। 

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रतन को जैसे ही फोन आता है, तत्काल अपने बाइक पर सवार होकर तीव्र गति से पहुंचते हैं तथा सांपों के पकड़ने का रेस्क्यू प्रारंभ करते हैं। तथा कुछ देर में रतन सांपों को एक डंडे के सहारे पड़कर डब्बे में भर लेते हैं तथा उसे दूर जंगलों में छोड़ देते हैं ताकि उस ना तो मनुष्य को कोई खतरा हो और ना ही मनुष्य से सांपों को कोई खतरा हो। आज लगभग रतन 10000 से ऊपर सांपों के जान बचा चुके हैं। 

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बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि लोग सांप का नाम सुनते ही डर जाते हैं और उस पर हमला बोल देते हैं और उसको मार कर फेंक देते हैं। जबकि सभी सांप विषैले नहीं होते। हम जहां भी सांपों को पकड़ने जाते हैं तो पकड़ने के साथ ही लोगों को जागरूक करने का भी कार्य करते हैं कि सांपों को मार नहीं। 

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रतन गुप्ता ने बातचीत के दौरान बताया कि बचपन में जब सांपो को लाठी-डंडा से मारते देखा तो मन में सांपों को बचाने का भाव जागा। पर्यावरण संरक्षण में अपनी भूमिका निभाने वाले प्रकृति के देन सांपो की जिंदगी बचाने हेतु उन्हें पकड़ कर अपना दोस्त बनाने का मन बनाया और देखते-देखते अब उनसे गहरी दोस्ती कर ली। युवा दुकानदार के पिता स्व. श्यामलाल गुप्ता सपेरों के संग 'महुअर' खेलने की विद्या जानते थे, और सपेरों के आने पर मिर्जामुराद कस्बा में खूब 'महुअर' खेलते थे। ग्रामीणों की भारी भीड़ जुटती थी। 

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सांपों को पकड़ते-पकड़ते उसने यह कला सीख अब उसे अपना शौक बनाटे हुए अब सांपों को दोस्त बना लिया हैं। ग्रामीणों की सुविधा के लिए हाइवे पर गोपीगंज से रामनगर के बीच कई जगह सांप पकड़वाने के लिए सम्पर्क करें 'जनसेवा केंद्र' की वालराइटिंग करा अपना मोबाइल नम्बर 8090886550 भी लिखवा दिया है।
 

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