व्याख्यानमाला को दूसरा दिन : शांति स्वरूप ने देवगढ़ की मूर्तियों की विशेषता और इतिहास से परिचित कराया

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वाराणसी। नृत्य विभाग, संगीत एवं मंच - कला संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में सात दिन तक चलने वाले अंतर्विषयी व्याख्यान माला के दूसरे दिन मंगलवार को कार्यक्रम का आरंभ महामना पण्डित मदन मोहन मालवीयजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुआ। 

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तत्पश्चात संकाय प्रमुख प्रो. के. शशि कुमार द्वारा व्याख्याता डॉ. शांति स्वरूप सिन्हा का सम्मान किया गया। साथ ही म्यूरल पेंटिंग के कलाकार सुरेश के नायर का भी सम्मान किया गया। इसके बाद शांति स्वरूप सिन्हा ने देवगढ़ में स्थापित मंदिरों में पाई जाने वाली मूर्तियों के बारे में बताया। उन्होंने लगभग 5000 वर्षों के इतिहास को समेटे हुए इतिहास को गागर में सागर भरने का प्रयास किया। कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण पहलुओं पर उन्होंने विचार रखें। कहाकि कला कभी पुरानी नहीं होती। बल्कि पारंपरिक रूप को संजोते हुए कलाकारों ने हर युग में नवीन प्रयोग किए हैं। रेखाओं से आकृतियां ,आकृतियों से मूर्तियां और यह मूर्तियां कितने अर्थों में हमारे परंपरा को संजोए हुए है। 

कार्यक्रम में संकाय प्रमुख प्रो. के शशि कुमार, प्रो. शारदा वेलंकर, डॉ. विधि नागर, प्रो. रचना शर्मा, डॉ. महेंद्र सिंह, डॉ. साहिब राम टूडू, डॉ. मनीष अरोड़ा, प्रणब मुखर्जी, डॉ. शर्मा, डॉ. रंजना उपाध्याय, डॉ. खिलेश्वरी पटेल आदि रहे। संचालन सुश्री मधु मौर्या एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रंजना उपाध्याय ने किया।

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