Sawan 2025 : सावन के पहले दिन काशी विश्वनाथ धाम में पुष्प वर्षा कर श्रद्धालुओं का स्वागत, बाबा की हुई दिव्य मंगला आरती 

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वाराणसी। श्रावण मास का आरंभ शुक्रवार को श्री काशी विश्वनाथ की मंगला आरती के साथ हुआ। इसके पश्चात श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा एक नवीन और आध्यात्मिक नवाचार संपन्न किया गया, जो श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत दिव्य और मनोहारी अनुभव बना। धाम के अंदर मंडलायुक्त एस राजलिंगम समेत अधिकारियों ने श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया।

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विगत वर्षों में महाशिवरात्रि और श्रावण के सोमवारों पर श्रद्धालुओं का पुष्पवर्षा से स्वागत मंदिर द्वार पर किया जाता रहा है, लेकिन इस वर्ष श्रावण का पहला दिन शुक्रवार होने के कारण परंपरा में एक भावपूर्ण नवाचार जोड़ा गया। इस बार यह पुष्प वर्षा केवल द्वार तक सीमित न रहकर मंदिर परिसर में तीन प्रमुख धार्मिक केंद्रों भगवान विश्वनाथ, भगवान दंडपाणि और भगवान बैकुण्ठेश्वर के शिखरों के समक्ष संपन्न की गई। इसे 'शिखर आराधना' का नाम दिया गया, जिसमें श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत किया गया।

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गर्भगृह से प्रारंभ होकर मंदिर परिसर में स्थित भगवान बद्रीनारायण मंदिर तक पुष्पवर्षा की गई। हरि-हर परंपरा का प्रतीक यह चरण शिव और विष्णु की संयुक्त आराधना को समर्पित रहा, जिसने काशी की आध्यात्मिक विविधता को भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया। तीन थालों में पुष्प और पत्रदल मां अन्नपूर्णा को अर्पित किए गए। इन पुष्प-पत्रों को दिनभर श्रद्धालुओं को मां अन्नपूर्णा के अक्षत प्रसाद के साथ वितरित किया गया। चूंकि शुक्रवार को मातृशक्ति की आराधना का विशेष महत्व होता है, अतः यह चरण देवी अन्नपूर्णा को समर्पित किया गया।

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इस त्रिस्तरीय आयोजन के पीछे शैव परंपरा की त्रैतीय विशेषता भी प्रमुख रही। त्रिशूल, त्रिपुण्ड तिलक और त्रिदल बेलपत्र, जो शिव आराधना के मूल स्तंभ हैं। शिव के ब्रह्मा, विष्णु और महेश के स्वरूप में प्रकटीकरण की भावधारा को इस आयोजन में मूर्त रूप दिया गया। इस नवाचार में मंडलायुक्त के साथ ही मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण, डिप्टी कलेक्टर शम्भू शरण एवं तहसीलदार मिनी एल शेखर उपस्थित रहे।

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