‘सौगंध राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनाएंगे’ जब बनारस में रामभक्तों से भर गया था पूरा जेल, चुन चुनकर किया जा रहा था गिरफ्तार

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वाराणसी। राम मंदिर का 22 जनवरी को लोकार्पण होने जा रहा है। इस मंदिर के लिए देश के विभिन्न कोने से कारसेवकों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। इसी बीच हम महादेव की नगरी काशी के आंदोलनों को भी याद करेंगे। जब काशी में रामभक्तों से पूरा जेल भर गया था। 

दिन था 30 अक्टूबर 1990 का। विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर कारसेवा का ऐलान किया था। इसी बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने अयोध्या में 'परिंदा भी पर नहीं मार सकता' की चेतावनी दे डाली थी।

जिसके बाद से पूरे प्रदेश में रामभक्तों की गिरफ्तारी शुरू हो गई। काशी में हालात यह थे कि राम भक्तों से जिला जेल भर गया। इस पर भी उनके हौसले में कोई कमी नहीं आई। इसी कारण से जिला प्रशासन ने साहूपुरी स्थित खाद कारखाने को जेल में तब्दील कर दिया।

33 वर्ष पहले की घटना को याद करते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता लालजी गुप्ता बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव की चेतावनी के बाद वाराणसी प्रशासन प्रत्येक हिंदूवादी को खोज-खोज कर गिरफ्तार कर रहा था। विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक अपना इतना संघ के पदाधिकारी अपना घर छोड़ चुके थे। इतना ही नहीं सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता, व्यापारी नेताओं को भी गिरफ्तार किया जा रहा था। गिरफ्तार होने वालों में बड़ी संख्या में जत्थे में दक्षिण भारत से आने वाले कारसेवक भी थे। 

सभी भक्त अयोध्या जाने के लिए पहले काशी आ रहे थे। उनके लिए इंग्लिशिया लाइन स्थित भारतीय शिक्षा मंदिर में विहिप ने व्यवस्था की थी। उसकी व्यवस्था राम किशन व प्रेम नारायण लाल के जिम्मे थी। लोग जैसे हो 'सौगंध राम की खाते हैं, हम मंदिर वहीं बनाएंगे’ का नारा लगाते थे उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता था। कैंट रेलवे स्टेशन पर काफी गिरफ्तारियां हुई। जिला जेल में स्थान नहीं होने की वजह से बंद पड़े साहूपुरी खाद कारखाने को अस्थायी जेल बनाया गया था। 

लालजी गुप्ता बताते हैं कि विहिप के नेता ढेर सारा पोस्टकार्ड लेकर साहूपुरी जाते थे। वहां दक्षिण भारतीयों को इशारे से अपने घर के लिए पत्र लिखवाते थे। उसे डाक में डाला जाता था। गिरफ्तारी के बावजूद राम के लिए अपने को समर्पित करना चाहते थे। कारसेवा के लिए जाते समय गिरफ्तार हुए शहर के गणमान्य नागरिकों में माता प्रसाद, बैजनाथ प्रसाद, विश्वनाथ वशिष्त, प्रेम कपूर, धनेश बदलानी, विनोद गुप्ता, अंजनी गुप्ता, प्रेमजी, तुलसी रमाकांत जोशी, प्रशांत चक्रवर्ती, प्रभुनाथ मिश्रा, प्रेम कुमार चेलम, ओम प्रकाश शास्त्री, पूर्णमासी गुप्ता, राजनाथ पांडेय, प्रदीप यादव आदि शामिल रहे। इसमें अधिकतर दिवंगत लोग राम मंदिर बनने के बाद अमर हो गए। 
 

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