कांवड़ यात्रा को लाउडस्पीकर व डीजे मुक्त कराने को सत्या फाउंडेशन आया आगे, शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कांवड़ियों से की अपील, कहा – यह धर्म विरुद्ध आचरण

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वाराणसी। ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ वर्ष 2008 से लगातार अभियान चलाने वाली संस्था 'सत्या फाउण्डेशन' के सचिव चेतन उपाध्याय ने बुधवार को श्री विद्या मठ में ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती से मुलाकात किया। उन्होंने आगामी कांवड़ यात्रा में तेज आवाज में लाउडस्पीकर और डी.जे. पर चिंता जताई।

चेतन उपाध्याय ने कझा कि उत्तर प्रदेश में आये दिन होने वाली हिंसा और हत्याओं के बावजूद योगी आदित्यनाथ सरकार इस मुद्दे पर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है।  डी.जे. के शोर में कई बार बलात्कार पीड़िताओं की चीख दब जा रही है। धर्म, मानवता, मानवों और अन्य जीव जंतुओं की ह्त्या करने वाले डी.जे. और तेज लाउडस्पीकर के मारक शोर से आत्मरक्षा के लिए लोग आगे बढ़ कर विरोध कर रहे हैं। 

इस क्रम में कई बार मारपीट, हिंसा और हत्या के बावजूद, शोर के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण एक्ट-1986 के तहत, स्वतः संज्ञान लेकर, Proactive कार्रवाई का चलन नहीं होने से, पूरे उत्तर प्रदेश में धर्म की आड़ में, अशांति और अराजकता बढ़ती ही जा रही है। जो लोग मुस्लिमों के लाउडस्पीकर को 'तुष्टीकरण की राजनीति' बताते थे, आज उनके सत्ता में आने के बाद भी मस्जिद का शोर जारी है। और अब सरकार में बैठे लोग, सावन में, पूरे एक महीने तक, दिन-रात, नॉन स्टॉप 720 घण्टे तक, सड़क पर काँवरियों का डी.जे. बजवा कर 'धार्मिक'अत्याचार करेंगे। 

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि कांवड़ यात्रा में नौजवानों और आम जनता का उत्साह होना बहुत अच्छी बात है। मगर हर धार्मिक कार्य की एक मर्यादा और अनुशासन होता है। कांवड़ यात्रा में पारंपरिक वाद्य यंत्र जैसे ढोल, मजीरा, शंख, घंटा, घड़ियाल आदि तो ठीक है, मगर कानफाडू, हार्ट अटैक ला देने वाले डी.जे. साउंड सिस्टम का उपयोग करना धर्म की हत्या करने जैसा है। 

कांवड़ यात्रा में परम्परागत वाद्य यंत्रों की जगह, कानफाडू/जानलेवा डी.जे. को, खुद सरकार द्वारा अनुमति देना पूरी तरह गलत है, धर्म विरुद्ध आचरण है और यह धर्म में राजनीति घुसाने जैसा है।  धार्मिक विधि को राजनीति के लिए उपयोग करना ठीक नहीं है क्योंकि उसका पुण्य नहीं मिलेगा, उल्टे पाप लगेगा। हो सकता है कि जो लोग राजनीति में धर्म का उपयोग कर रहे हैं, उनको मेरी बात अच्छी नहीं लगे मगर मेरा कार्य है, शास्त्रोचित सत्य को कहना। 
 

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