संत गुरु रविदास जयंती 2025: सीर गोवर्धनपुर में तैयारियां जोरों पर, सजने लगा तंबुओं का शहर, सेवादारों ने संभाला जिम्मा
वाराणसी। गुरु रविदास की जयंती समारोह के लिए वाराणसी के सीर गोवर्धनपुर में तैयारियां तेजी से चल रही हैं। संत की कर्मभूमि कहे जाने वाले इस क्षेत्र में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन और सेवा के लिए पहुंचते हैं। इस बार भी पंजाब और हरियाणा से आए सेवादारों ने सेवाओं का जिम्मा संभाल लिया है। श्रद्धालुओं की सेवा के साथ-साथ, सुबह और शाम संत रविदास मंदिर में अमृतवाणी का पाठ भी आरंभ हो चुका है।

तैयारियों में जुटा प्रशासन
सीर गोवर्धनपुर में जयंती के अवसर पर तंबुओं का शहर सजने लगा है। जिला प्रशासन ने मेले को सुचारु रूप से आयोजित करने के लिए व्यापक प्रबंध शुरू कर दिए हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए स्थायी और अस्थायी शौचालय, पानी की टंकियां, बेहतर सड़क, और बिजली की आपूर्ति के विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। प्रशासन ने मेले के दौरान सफाई और स्वच्छता बनाए रखने के लिए एंटी लार्वा छिड़काव और फॉगिंग का कार्य भी सुनिश्चित किया है।

पार्षद का विशेष योगदान
सीर गोवर्धनपुर के पार्षद राम सिंह उर्फ कल्लू पहलवान ने बताया कि इस बार मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। नगर निगम के साथ समन्वय कर क्षेत्र में सफाई व्यवस्था और पानी की टंकियां लगाने की प्रक्रिया पहले से ही शुरू हो गई है। पार्षद ने कहा, "हमने यह सुनिश्चित किया है कि किसी भी श्रद्धालु को कोई असुविधा न हो। मैं स्वयं व्यवस्थाओं की निगरानी करूंगा।"

बेगमपुरा गांव का सपना साकार
संत रविदास के सपनों का गांव "बेगमपुरा" अब धीरे-धीरे आकार लेने लगा है। संत की शिक्षाओं और उनके आदर्शों को साकार करने के लिए सीर गोवर्धनपुर में कई बदलाव हो रहे हैं।

हर साल माघ पूर्णिमा के दिन मनाई जाने वाली गुरु रविदास जयंती इस साल 12 फरवरी 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। यह गुरु रविदास जी की 648वीं जयंती होगी। संत रविदास का जन्म वाराणसी के पास स्थित सीर गोवर्धनपुर गांव में हुआ था। उनकी माता का नाम कलसा देवी और पिता का नाम संतोख दास था। संत रविदास अपने विनम्र स्वभाव और साधु-संतों की सेवा के लिए जाने जाते थे।

श्रद्धालुओं का आगमन शुरू
पंजाब और हरियाणा के अलावा देश के अन्य हिस्सों से भी जत्थे पहुंचने लगे हैं। मंदिर में श्रद्धालु सुबह-शाम संत रविदास की भक्ति में डूबे नजर आ रहे हैं। जयंती के दिन विशाल भंडारे का आयोजन होगा, जिसमें लाखों श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करेंगे।





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