बनारस के बाजारों में संक्रांति की रौनक, सज गए गुड़ से बने व्यंजनों की दुकानें, दूर तक फ़ैल रही तिल-गुड़ के व्यंजनों की महक
मकर संक्रांति के अवसर पर शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के बाजार सज चुके हैं। तिल-गुड़ से बने व्यंजनों और गजक की महक बाजार में फैली हुई है। खास बात यह है कि अब इम्यूनिटी बूस्टर और शुगर-फ्री गजक भी उपलब्ध हैं, जिनकी मांग तेजी से बढ़ रही है। इनके दाम आम गजक की तुलना में 30-40% अधिक हैं।
ड्राई फ्रूट देसी घी गजक, तिल मावा बाटी, पंचरत्न बर्फी, मूंगफली चिक्की, और काजू गजक जैसे व्यंजनों की वेरायटी बाजार में उपलब्ध है। वाराणसी में बनने वाले तिल-गुड़ के व्यंजन न केवल प्रदेश के अन्य जिलों, बल्कि देश-विदेश में भी लोकप्रिय हैं। व्यापारी बताते हैं कि मकर संक्रांति के सीजन में 10-15 हजार किलो तिल-गुड़ के उत्पादों की बिक्री होती है।
ज्योतिषीय और स्वास्थ्य लाभ
ज्योतिषीय दृष्टि से तिल को शनि ग्रह से और गुड़ को सूर्य देव से जोड़ा गया है। इनका संगम सूर्य-शनि के सामंजस्य का प्रतीक माना जाता है। तिल और गुड़ से बने लड्डू न केवल परिवार में सुख-समृद्धि लाते हैं, बल्कि सूर्य देव को प्रसन्न करने का भी माध्यम हैं।
सर्दी में लाभकारी व्यंजन
मकर संक्रांति ठंड के समय आता है, जब शरीर में कफ बढ़ने और त्वचा के रूखेपन की समस्या होती है। तिल और गुड़ की तासीर गर्म होने के कारण ये सर्दी के प्रभाव से बचाते हैं। यही कारण है कि इस पर्व पर तिल-गुड़ के लड्डू बनाना और खाना परंपरा बन गई है।
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