26 सितम्बर को मनाया जायेगा सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय का 42वां दीक्षांत समारोह, शिक्षा और परंपरा का दिखेगा अद्भुत संगम
उन्होंने बताया कि इस अवसर के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) और राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी फोरम, नई दिल्ली के अध्यक्ष, प्रोफेसर अनिल सहस्त्रबुद्धे होंगे, जो अपने दीक्षांत भाषण से स्नातकों को प्रेरित करेंगे। इस समारोह में स्नातकों को उपाधि-पत्र दी जाएगी।
कुलपति ने बताया कि इस विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह अत्यंत प्रतिष्ठित और गौरवशाली होता है। संस्कृत में दीक्षांत का पर्यायवाची शब्द "समावर्तन" है, जो भारतीय जीवन के 16 प्रमुख संस्कारों में से एक है। यह ब्रह्मचर्याश्रम से गृहस्थाश्रम में प्रवेश का संकेतक होता है।
सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, जिसे प्राच्य विद्या के सिद्धपीठ के रूप में पूरे विश्व में मान्यता प्राप्त है, अपनी गौरवशाली परंपराओं को सहेजते हुए निरंतर प्रगति कर रहा है। यह प्रतिष्ठित संस्थान 1791 में संस्कृत पाठशाला के रूप में स्थापित हुआ था और 22 मार्च 1958 से इसे वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय के रूप में जाना गया। बाद में, 1973 में इसका नाम सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय रखा गया। अपने प्रारंभिक उद्देश्यों की पूर्ति की दिशा में यह विश्वविद्यालय लगातार अग्रसर है और इसके साथ सम्बद्ध महाविद्यालय उत्तर प्रदेश सहित भारत के विभिन्न राज्यों जैसे दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, लेह, और अरुणाचल प्रदेश में संचालित हैं।
प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने अपने जीवन को शिक्षा और समाज सेवा के लिए समर्पित किया है। वर्तमान में वे राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी फोरम (NETF) और राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) के अध्यक्ष हैं। इसके साथ ही वे NBA के भी अध्यक्ष रह चुके हैं।
उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर और बीवीबी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, हुबली से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीई, स्नातकोत्तर और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। वे कई प्रमुख पेशेवर निकायों और संगठनों के सदस्य रहे हैं, जिनमें एकॉस्टिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया, भारतीय तकनीकी शिक्षा सोसाइटी, इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी, और भारतीय राष्ट्रीय इंजीनियरिंग अकादमी शामिल हैं।
प्रमुख सम्मान और पुरस्कार
प्रो. सहस्त्रबुद्धे को उनकी शैक्षिक और सामाजिक सेवाओं के लिए कई महत्वपूर्ण पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, जिनमें एम्स से रवि जे मथाई राष्ट्रीय फेलोशिप पुरस्कार प्रमुख है। इसके अलावा, उन्हें कई अन्य सम्मान और पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके हैं, जो उनकी विशेषज्ञता और समर्पण का प्रमाण हैं।
विभिन्न भूमिकाओं में सेवा
प्रो. सहस्त्रबुद्धे ने अपने करियर के दौरान कई महत्वपूर्ण भूमिकाओं में सेवा की है। वे कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे के निदेशक, एआईसीटीई बोर्ड के सदस्य और उत्तर पूर्वी क्षेत्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, ईटानगर चैप्टर के अध्यक्ष रह चुके हैं। वे एक सम्मानित शिक्षाविद् हैं, जिन्होंने शिक्षा और सामाजिक कार्यों के माध्यम से समाज में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
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