संतों ने मां श्रृंगार गौरी विग्रह का किया दर्शन, नंदी का किया जलाभिषेक, होगी रामकथा 

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वाराणसी। ज्ञानवापी में व्यास जी के तहखाना में पूजा के बाद उठे विवादों के बीच काशी के संतों ने शुक्रवार को ज्ञानवापी के पीछे मौजूद मां श्रृंगार गौरी के विग्रहों का दर्शन-पूजन किया। ज्ञानवापी की ओर मुख किए नंदी का जलाभिषेक भी किया। वहां नौ दिनों तक रामकथा होगी। हर साल माघ शुक्ल की सप्तमी पर ये परंपरा निभाई जाती है। अगले 9 दिन यानी पूर्णिमा तक बाबा विश्वनाथ को रामकथा सुनाई जाएगी। 

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अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती और कथावाचकों ने मां श्रृंगार गौरी के खंडित विग्रहों पर विधि विधान से पूजा और आरती भी उतारी। इसके अलावा, ज्ञानवापी वजूखाने की ओर मुंह किए नंदी महराज का भी जलाभिषेक किया। श्रीकाशी विश्वनाथ का दर्शन कर राम कथा की शुरुआत की गई। कथा 9 दिन पूर्णिमा तक चलेगी। माघ शुक्ल की सप्तमी के मौके पर जितेंद्रानंद सरस्वती और बाकी के संत मां श्रृंगार के विग्रहों का दर्शन करने के बाद राम कथा की शुरुआत करते हैं।

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उन्होंने कहा कि मंदिर टूटने के बाद भक्तों ने ही यह तय किया था कि साल में एक बार हम लोग बाबा विश्वनाथ को रामकथा सुनाएंगे। इस कथा का उद्घाटन और समापन परंपराओं से ही माता श्रृंगार गौरी, प्रतीक्षारत नंदी और बाबा विश्वनाथ के दर्शन और जलाभिषेक से ही किया जाता है। ज्ञानवापी मुक्त हो, नंदी महराज की प्रतीक्षा जल्द से जल्द खत्म हो। इसलिए मां श्रृंगार गौरी की पूजा की गई। 

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1993 तक आम श्रद्धालु भी करते थे दर्शन
ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार के पीछे सरिया के बैरिकेडिंग के पास माता श्रृंगार गौरी के विग्रह रखे हुए हैं। वहीं पर पूजा और दर्शन होते हैं। श्रृंगार गौरी विग्रहों का 1993 तक बिना रोक-टोक आम श्रद्धालु भी यहां पर पूजा करते रहे हैं। बाबरी विध्वंस के बाद आम लोगों की ओर से पूजा करने की परंपरा टूटी। अब साल में एक बार चैत्र नवरात्रि की चतुर्थी पर ही आम भक्तों के दर्शन के लिए ये जगह खोली जाती है।

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