काशी में होगा देशभर के संतों का समागम, राम मंदिर के लोकार्पण का होगा शंखनाद
वाराणसी। धर्म की नगरी काशी में 2 नवंबर से देश के करीब 1200 धर्माचार्य इकट्ठा हो रहे हैं। अखिल भारतीय संत समिति, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं श्रीकाशी विद्वत परिषद के मार्गदर्शन में गंगा महासभा द्वारा संस्कृति संसद का आयोजन किया जा रहा है। इस संसद में सनातन संस्कृति पर आघात करने वालों के साथ होने वाली कार्रवाई पर सहमति और राम मंदिर के भव्य निर्माण को उत्सव की तरह मनाने पर विचार विमर्श किया जाएगा । इसके अलावा राम मंदिर मुक्ति आंदोलन में मृत कारसेवकों की सद्गति के लिए संतों के द्वारा श्रीकाशी विश्वनाथ परिसर में महारुद्राभिषेक किया जाएगा। इसमें काशी सहित पूरे देश के संत हिस्सा लेंगे।
कार्यक्रम को लेकर अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि काशी सनातन धर्म की राजधानी है, जिन लोगों ने हिंदू धर्म को चैलेंज किया और किसी भी राजनैतिक दल के लोग हो उन्हे सोचना चाहिए था, कि देश में इस्लाम उन्मूलन और क्रिश्चन उन्मूलन की बात हो जाती तो अब तक कितनी मोमबत्तियां जल रही होती। ऐसे में यही सनातन उन्मूलन की बात पर हम चुप बैठे रहते तो यह हमारी कायरता होती। इस लिए काशी में सभी शंकराचार्य, महामंडलेश्वर सहित सभी को बुलाया गया है। देशभर के करीब 450 जिलों से 1200 से अधिक संत संस्कृति संसद 2023 में शामिल हो रहे है।
संस्कृति संसद के दौरान श्री राम मंदिर को लेकर प्लान को लेकर स्वामी जितेंद्रानंद ने कहा कि राम और शिव का अनन्य संबंध है, श्री राम जन्मभूमि के मुक्ति और मंदिर निर्माण का सीधा संबंध काशी से है, इस लिए जो शंखनाद काशी से हो रहा है वह श्री राम मंदिर लोकार्पण तक होगा। भारत के 5 लाख गांव में सनातन उद्घोष लगातार चलने वाला है। देशभर के एक सीमित संख्या में संत काशी आ रहे है और वह करीब 2 लाख संतो के साथ भारत के 5 लाख गांव के सभी हिंदू परिवार तक मंदिर का न्यौता लेकर जाएंगे और अक्षत व हल्दी इकट्ठा करेंगे। यह 5 नवंबर से 15 जनवरी तक चलेगा।
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