एनजीओ के नाम पर विदेश से मंगाए 58 करोड़, भारत में बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को पनाह देकर राष्ट्रविरोधी साजिशें रची, बंगाल के अबू सालेह मंडल को एटीएस ने दबोचा
जानकारी के मुताबिक, अबू सालेह अपना पूरा सिंडिकेट चलाता है और वह उसका सरगना है। उसके गिरोह में बांग्लादेश का रहने वाला अदिलुर रहमान, पश्चिम बंगाल का रहने वाला अबु हुरैरा, पश्चिम बंगाल का ही रहने वाला शेख नजीबुल हक, बांग्लादेश की रहने वाली तानिया मंडल, बांग्लादेश के इब्राहिम खान और आसाम के रहने वाले मोहम्मद अब्दुल को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।
50 हजार का इनामिया अबू सालेह मंडल पश्चिम बंगाल का रहने वाला है। उसे एटीएस ने रविवार को लखनऊ से लगभग एक लाख 17 हजार रुपए नकद, अलग-अलग जन्मतिथि वाले खुद के दो फर्जी आधार कार्ड व 2 अदद मोबाइल फोन के साथ गिरफ्तार किया।
ट्रस्ट के जरिए मंगाए पैसे
अबू सालेह ने एटीएस की पूछताछ में बताया कि वह हरोआ-अल जमियातुल इस्लामिया दारूल उलूम मदरसा एवं कबीरबाग मिल्लत एकेडमी के नाम के ट्रस्टों का संचालक है। इन ट्रस्टों के खातों में विदेशों से भारी मात्रा में वर्ष 2018 से 2022 तक लगभग 58 करोड़ की फंडिंग प्राप्त हुई है। उसका अम्मा वेलफेयर ट्रस्ट से भी सम्बंध रहा है। वह अब्दुला गाजी नामक व्यक्ति के साथ मिलकर एक गाजी फूड्स सप्लाई एवं गाजी मैसनरीज नाम से फर्जी फर्म बनाकर भी बिलिंग करता रहा है। इससे कैश का उपयोग अपने सिंडिकेट के माध्यम से अवैध रूप से रोहिंग्याओं एवं बांग्लादेशियों की भारत में घुसपैठ कराने, उनकी आर्थिक सहायता करने, फर्जी भारतीय दस्तावेज बनवाने एवं हवाला के माध्यम से उस पैसे को भारत के विभिन्न राज्यों में भेज कर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में प्रयोग किया जाता है।
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