IIT BHU में तकनीकी और मिनिस्ट्रीयल कर्मचारियों में आक्रोश, पदोन्नति प्रक्रिया पर सवाल, हाईस्कूल स्तर की लिखित परीक्षा से आपत्ति
वाराणसी। आईआईटी बीएचयू में तकनीकी और मिनिस्ट्रीयल कर्मचारियों के बीच पदोन्नति को लेकर भारी असंतोष है। संस्थान प्रशासन द्वारा 2 जून को ईमेल के माध्यम से जानकारी दी गई कि 20 जून को शाम 4 बजे हाईस्कूल स्तर की लिखित परीक्षा आयोजित की जाएगी, जो पदोन्नति के लिए अनिवार्य है। इस सूचना के बाद कर्मचारियों में तीव्र असंतोष देखने को मिला।
कर्मचारियों का सवाल है कि सेवा जीवनभर संस्थान को देने के बाद, वह भी रिटायरमेंट के समय, हाईस्कूल स्तर की परीक्षा लेने का क्या औचित्य है? विशेषकर वे कर्मचारी जो जून 2025 के अंत तक सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उनके लिए यह प्रक्रिया अन्यायपूर्ण प्रतीत होती है। नियुक्ति के समय आईटीआई के साथ जूनियर हाईस्कूल की योग्यता पर्याप्त मानी गई थी, फिर अब हाईस्कूल की परीक्षा क्यों?
संस्थान के वरिष्ठ कर्मचारी श्री मदन कुमार, जिन्होंने 41 वर्षों तक निष्ठा से सेवा दी, उन्हें इंटरव्यू में अयोग्य घोषित कर दिया गया जबकि उनके 20 वर्ष जूनियर कर्मचारी को पदोन्नत कर दिया गया। जब संस्थान ने उनकी शिकायतों को अनदेखा किया तो उन्हें न्याय की गुहार के लिए हाईकोर्ट जाना पड़ा।
इसी प्रकार मिनिस्ट्रीयल वर्ग के 2014–2016 बैच के कर्मचारियों को शत-प्रतिशत पदोन्नत किया गया, जबकि 2017 बैच के लिए त्रुटिपूर्ण परीक्षा आयोजित की गई, जिसमें जानबूझकर कुछ कर्मचारियों को फेल किया गया। हिंदी राजभाषा के प्रश्न अंग्रेजी में पूछे गए, जिससे वरिष्ठता क्रम में विसंगति उत्पन्न हुई और कर्मचारियों को मानसिक और आर्थिक उत्पीड़न सहना पड़ा।
कर्मचारियों का आरोप है कि 29 जून 2012 के बाद से अब तक न तो एक भी नया आवास बना और न ही स्थाई रूप से गैर-शैक्षणिक कर्मचारी संघ का गठन हुआ है, जो संस्थान के नियमों के विरुद्ध है। कर्मचारियों ने मांग की है कि तकनीकी और मिनिस्ट्रीयल स्टाफ को न्याय और समान अवसर प्रदान करते हुए, सभी का निष्पक्ष रूप से अपग्रेडेशन किया जाए।

