रंगभरी एकादशी: काठियावाड़ से आए घाघरे पहनाकर मां गौरा का होगा गौना, कल लगेगी शिव अर्धांगिनी को हल्दी
वाराणसी। रंगभरी (अमला) एकादशी पर बाबा विश्वनाथ, माता पार्वती संग प्रथमेश की चल प्रतिमा की पालकी यात्रा के निमित्त होने वाला लोकाचार पालकी पूजन के साथ रविवार को शुरू हो गया। इस वर्ष रंगभरी एकादशी का उत्सव 20 मार्च को मनाया जाएगा।
टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर एक तरफ जहां बाबा की पारंपरिक पालकी की साफ सफाई के बाद पूजन किया गया। रविवार को पालकी और सिंहासन का पूजन पं. वाचस्पति तिवारी ने किया। पूजन पं. सुशील त्रिपाठी के आचार्यत्व में पांच वैदिक ब्राह्मणों ने कराया। वहीं कोलकाता से लाए गए ‘देव किरिट’ और काठियावाड़ से भेजे गए शिव पार्वती के राजसी परिधानों को तैयार कर लिया गया है।
महादेव के राजसी वस्त्र दशाश्वमेध में विनोद मास्टर तैयार कर रहे हैं। यह दायित्व निभाने वाले टेलर मास्टर विनोद अपने परिवार की चौथे पीढ़ी के सदस्य हैं। रंगभरी एकादशी के अवसर होने गौना के निमित्त महंत आवास गौरा के मायके में परिवर्तित हो चुका है। 18 मार्च को गौरा के तेल-हल्दी की रस्म निभाई जाएगी।
महाशिवरात्रि पर शिव-पार्वती के विवाह की रस्म विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर लोकपरंपरानुसार पूरी की गई थी। पूर्व महंत के पुत्र पं. वाचस्पति तिवारी ने बताया कि गौरा के गौना के लिए महाशिवरात्रि के बाद महंत आवास गौरा-सदनिका में परिवर्तित हो जाता है। 18 मार्च को महंत आवास पर माता गौरा की प्रतिमा के पूजन के बाद गौना की हल्दी होगी। गौनहारिनों की टोली मंगल गीत गाएगी। गौना के अवसर पर बाबा विश्वनाथ की प्रतिमा को परंपरागत खादी से बनी राजसी पोशाक धारण कराया जाएगा।
गौरा के लिए काठियावाड़ से एक भक्त ने घाघरा भेजा है। 19 मार्च को टेढ़ीनीम स्थत गौरा सदनिका (महंत आवास) में बाबा की बारात का आगमन होगा। बाबा के गौना के अवसर पर टेढ़ीनीम महंत-आवास पर ‘शिवांजलि’ के लोक एवं सुगम संगीत का संक्षिप्त आयोजन भी किया जाएगा
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