Ramotsav 2024: वर्षों तक कई पीढ़ियों ने बनारस में बजाई शहनाई, काशी के दुर्गा प्रसन्ना अब रामलला को सुनाएंगे ‘शिव राग’
दुर्गा प्रसन्ना ने बताया कि वह खानदानी शहनाई वादक हैं। वह कई पीढ़ियों से बनारस में शहनाई बजा रहे हैं। बताया कि उन्हें इसके लिए बेहद ख़ुशी है कि वह रामलला के इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।
उन्होंने कहा कि इस आमंत्रण के बाद उनका रोम-रोम पुलकित हो उठा है। श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में पहुंचना ही बहुत बड़ी बात है और उनके 500 वर्षों के वनवास के बाद मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के समय मंगलध्वनि बजाना सुखद अनुभूति होगी।
खानदानी शहनाई वादक हैं दुर्गा प्रसन्ना
शहनाई वादक दुर्गा प्रसन्ना ने बताया कि उनके दादा खजरान शास्त्री और पिता सहतीराम प्रसन्ना भी शहनाई वादक थे और शहनाई का ये हुनर उन्होंने हमें भी दिया। 7 साल की उम्र से दुर्गा शहनाई पर राग छेड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिता ने हमें शुरू से ही शहनाई में फूंक मारने और राग की ट्रेनिंग दी जिसे हमने जवानी तक आते-आते पूर्ण रूप से आत्मसात कर लिया और शहनाई वादन के लिए पूरे भारत सहित पूरे विश्व में जा चुके हैं।
संगीत में सबसे कठिन साज है शहनाई
जब दुर्गा प्रसाद प्रसन्ना से पूछा गया कि शहनाई के उस्ताद भारत रत्न बिस्मल्लाह खां के जाने के बाद क्या शहनाई गुम हो गई है तो उन्होंने इसे सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि संगीत में सबसे कठिन साज शहनाई है। यह बैलेंसिंग, फूंक और पत्ती पर डिपेंड करता है। इसलिए इसे ज्यादा लोग नहीं अपना रहे हैं, लेकिन जो पुराण शहनाई वादक है उनके घर के लोग शहनाई पर महारथ हासिल कर रहे हैं।
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