Ramnagar ki Ramlila 2024 : माता कौशल्या ने सिंहासन पर विराजमान राजा रामचंद्र व माता सीता की उतारी आरती, उमड़ा जनसैलाब
वाराणसी। रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला के बाद बुधवार की भोर में आरती हुई। इसमें अपार जन सैलाब उमड़ा। भोर में ही लाखों की संख्या में लोग आरती देखने पहुंचे। इस दौरान जय श्रीराम, सिया वर रामचंद्र की जय, हर-हर महादेव के उद्घोष से चारों दिशाएं गूंज उठीं।
भोर की आरती में जन सैलाब उमड़ा। आस्था का रेला, गांव, गली और मोहल्लोंज से होता हुआ रामलीला स्थल की ओर पहुंच गया। आरती के लिए घंटा-घडि़याल का दौर शुरू हुआ तो दूर दूर तक लोग ही नजर आ रहे थे। रामलीला में राज्याभिषेक की आरती बुधवार को तड़के लगभग साढ़े पांच बजे हुई। इसके लिए रामनगर दुर्ग से कुंवर अनंत नारायण सिंह राजपरिवार के सदस्यों व दरबारियों के साथ पैदल चल कर लीला स्थल अयोध्या मैदान पहुंचे। कुंवर ने भूमि पर बैठ श्रीराम का तिलक कर उन्हें भेंट दी। बदले में श्रीराम स्वरूप बने बालक ने अपने गले की माला उतारकर कुंवर को पहनाई। लगभग 5.40 बजे भगवान भाष्कर ने जैसे ही अपनी किरणें फैलाईं और माता कौशल्या ने अयोध्या के सिंहासन पर विराजमान श्रीराम व सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुध्न तथा श्रीराम के चरणों में नतमस्तक भक्त शिरोमणि हनुमान जी की आरती उतारी।
वाराणसी में परंपराओं की रामलीला कई चरणों में आयोजित होती है। इसमें एक भोर की आरती होती है। यह आरती सूर्योदय के दौरान होती है। इसमें पूरी काशी सदियों से इसी तरह उमड़ती रही है। रामनगर में धार्मिक अनुष्ठान के रूप में पूरे संसार में अपनी पहचान पा चुकी रामनगर की रामलीला में हर कोई शामिल होना चाहता है। एक माह तक चलने वाली रामलीला में आरती का बड़ा महत्व है। श्रीराम के राज्याभिषेक के बाद सुबह की आरती (भोर की आरती) अद्भुत होती हैं। विश्व प्रसिद्ध 'रामनगर की रामलीला' की भोर की आरती में सुबह मानों पूरी काशी उमड़ पड़ी। सूर्योदय के दौरान उग रहे सूर्य के लिए विशेष अनुष्ठान के तौर पर आयोजित की जाती है। आरती में समूचा नगर सदियों से इसी तरह उमड़ता रहा है।
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