Ramnagar ki Ramleela: भये प्रगट कृपाला... अयोध्या में पुत्रेष्टि यज्ञ के बाद श्रीराम और भाइयों का जन्म, माता कौशल्या ने देखा भगवान का विराट रूप
लीला में राजा दशरथ, अपनी संतानहीनता से दुखी होकर गुरु वशिष्ठ से सलाह लेते हैं। वशिष्ठ उन्हें समझाते हैं कि पूर्व जन्म में की गई तपस्या का फल उन्हें चार पुत्रों के रूप में मिलेगा। गुरु वशिष्ठ के निर्देश पर दशरथ ने श्रृंगी ऋषि के कहने पर पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। यज्ञ से प्रसन्न होकर अग्निदेव प्रकट हुए और दशरथ को हव्य प्रदान किया, जिसे तीनों रानियों ने ग्रहण किया और गर्भवती हो गईं।
भगवान श्रीराम के जन्म के समय उन्होंने अपना विराट रूप दिखाया, जिसे देखकर माता कौशल्या भयभीत हो गईं। उन्होंने हाथ जोड़कर भगवान से बाल रूप में आने का निवेदन किया, जिसके बाद भगवान बाल रूप में प्रकट हुए। दासी के मुख से पुत्र जन्म की खबर सुनकर राजा दशरथ अत्यधिक प्रसन्न हुए और पूरे नगर में उत्सव मनाया गया। ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दी गई और नगर में गायन-वादन शुरू हो गया।
गुरु वशिष्ठ ने चारों भाइयों का नामकरण संस्कार किया, जिसके बाद माता कौशल्या अपने पुत्रों को झूले में झुलाने लगीं। इसके बाद गुरु वशिष्ठ ने यज्ञोपवीत संस्कार कराया और चारों भाइयों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए आश्रम भेजा। अल्प समय में ही चारों भाई समस्त विद्याओं में निपुण हो गए। शिक्षा प्राप्त करने के बाद पिता दशरथ की आज्ञा से चारों भाई शिकार पर निकले और मृग का शिकार कर उसे दशरथ को दिखाया। इससे राजा दशरथ अत्यंत प्रसन्न हुए। इस प्रसंग के साथ ही बुधवार की रामलीला का समापन हुआ।
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