Ramnagar ki Ramleela: पाहिंनाथ पाहिंगोसाई कहकर भूमि पर गिर पड़े भरत, श्रीराम ने लगाया गले, चारों भाइयों का चित्रकूट में मिलन देख भाव-विभोर हुए श्रद्धालु
जब भरत श्रीराम को देखकर "पाहिंनाथ, पाहिंगोसाई" का उद्घोष करते हुए भूमि पर गिर पड़े, तब भगवान श्रीराम ने दौड़कर उन्हें उठाया और गले से लगा लिया। यह दृश्य देखकर लीला प्रेमियों की आंखों में आंसू आ गए। भरत ने जब भारद्वाज मुनि से आज्ञा लेकर चित्रकूट की ओर प्रस्थान किया, तो यह देखकर इंद्र चिंतित हो गए। उन्होंने देवगुरु बृहस्पति से श्रीराम से मिलन का कोई उपाय खोजने को कहा, लेकिन बृहस्पति ने उन्हें ऐसा न करने की सलाह दी।
भरत ने यमुना पार कर ग्रामवासियों से मिलकर आगे का मार्ग तय किया। दूसरी ओर, सीता ने श्रीराम से कहा कि उन्होंने रात में सपना देखा है कि भरत आए हैं। लक्ष्मण ने इसे अपशकुन मान लिया। कोल भील की बात सुनकर श्रीराम भी विचार में पड़ गए कि भरत आखिर क्यों आ रहे हैं। इसी बीच, लक्ष्मण ने संदेह जताते हुए कहा कि भरत शायद अयोध्या का राज पाकर धर्म की मर्यादा भूलकर श्रीराम से युद्ध करने आ रहे हैं।
तभी आकाशवाणी होती है, और श्रीराम लक्ष्मण को समझाते हैं कि भरत राज पद पाकर ऐसा नहीं कर सकते। भरत, गुरु की आज्ञा लेकर श्रीराम से मिलने निकलते हैं। जब वह पेड़ की आड़ से श्रीराम को देखते हैं, तो "पाहिंनाथ, पाहिंगोसाई" कहकर भूमि पर गिर जाते हैं।
श्रीराम और लक्ष्मण नंगे पांव दौड़कर उन्हें उठाते हैं और गले से लगाते हैं। चारों भाइयों का चित्रकूट में मिलन देखकर लीला प्रेमियों की आंखों में खुशी के आंसू आ जाते हैं। श्रीराम सभी को अपनी कुटिया में ले जाकर भोजन कराते हैं। इसके बाद, सभी विश्राम करते हैं, लेकिन भरत को नींद नहीं आती। वह सोचते हैं कि श्रीराम अयोध्या लौटेंगे या नहीं, और इसी चिंता में रात बीत जाती है। इस बीच, आरती के बाद लीला को विश्राम दिया गया है।
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