Ramnagar ki Ramleela : रामनगर की विश्वप्रसिद्ध रामलीला के 17वें दिन अरण्यकांड का समापन, जटायु ने श्रीराम को दी सीताहरण की जानकारी, शबरी से हुई श्रीराम की भेंट
वाराणसी। विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला के 17वें चरण में गुरुवार को विभिन्न भावनात्मक और धार्मिक प्रसंगों का सफलतापूर्वक मंचन किया गया। इस अवसर पर ‘श्री जानकी के वियोग में श्रीराम का विलाप’, ‘जटायु मोक्ष’, ‘शबरी फल भोजन’, ‘वन वर्णन’, ‘पम्पासर पर्यटन’, ‘नारद हनुमान व सुग्रीव मिलन’ की लीला प्रस्तुत की गई।
इस क्रम में श्री राम वन में सीता की खोज करते हुए गिद्धराज जटायु से मिलते हैं। जटायु को राम का भजन गाते हुए देखकर, श्रीराम ने उसकी पीड़ा को समझा और उसके सिर पर हाथ रखकर उसे सांत्वना दी। जटायु ने रावण द्वारा सीताहरण की जानकारी दी, जिसके बाद वह स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर जाते हैं। श्री राम जटायु का अंतिम संस्कार करते हैं और उसे मोक्ष प्रदान करते हैं।
इसके बाद, सीता की तलाश में आगे बढ़ते हुए श्री राम दुर्वाषा ऋषि के श्राप से शापित कबंध राक्षस का वध करते हैं और उसे उद्धार करते हैं। जब वह शबरी के आश्रम पहुँचते हैं, तो भिलनी शबरी उनकी प्रतीक्षा कर रही होती हैं। शबरी उन्हें कन्दमूल फल और बेर अर्पित करती हैं। श्री राम शबरी को नवधा भक्ति का ज्ञान देते हैं और सीता के बारे में पूछते हैं। शबरी उन्हें पम्पासर के रमणीय स्थल के बारे में बताती हैं, जहाँ सभी जानवर एक साथ रहते हैं और वहां सुग्रीव से मिलने की जानकारी भी देती हैं। इसके बाद, शबरी योगाग्नि में जलकर स्वर्ग चली जाती हैं।
भाई श्री राम और लक्ष्मण पम्पासर सरोवर पर स्नान करने के बाद, शीतल छाया में विश्राम करते हैं। इसी समय नारद जी का आगमन होता है। प्रभु श्री राम, नारद जी की शंकाओं का समाधान करते हैं, जिससे नारद का मोह दूर होता है। नारद जी श्री राम को प्रणाम कर प्रभु नाम का जप करते हुए वहाँ से चले जाते हैं। इस प्रकार अरण्य काण्ड का प्रसंग समाप्त होता है और किष्किंधा काण्ड की शुरुआत होती है।
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