संगमरमर पर काली स्याही से लिखा ‘राम’, तहखानों से निकली भगवान कृष्ण, नंदी और हनुमान की प्रतिमाएं, जानिए ज्ञानवापी के ASI सर्वे रिपोर्ट में क्या क्या मिला?

Gyanvapi ASI Survey
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वाराणसी। ज्ञानवापी की ASI रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई है। इस रिपोर्ट में हिन्दू मंदिर से संबंधित कई साक्ष्य मिले हैं। 839 पन्नों की रिपोर्ट में कई खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि सन 1669 ई० में औरंगजेब ने मंदिर को ढहाया और फिर उस पर विवादित ढांचा बना दिया। 

ASI की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मंदिर का अस्तित्व बताने वाली कई कलाकृतियों को जानबूझकर छुपाया गया था। ये सभी कलाकृतियां (मूर्तियां, शिलाएं, शिलालेख) उन तहखानों की जांच में मिले हैं। जिन्हें जानबूझकर मलबे में दबा दिया गया था। ASI की रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी परिसर के पूर्वी हिस्से में 6 तहखाने हैं। इनमें से सीलबंद इलाके के दक्षिणी हिस्से में तीन और उत्तरी हिस्से में तीन तहखाने हैं। इसके अलावा दो और तहखाने परिसर के उत्तरी हिस्से में हैं। 

ASI की रिपोर्ट में बताया गया है कि इन तहखानों में कई काम लिए जाते थे। इनमें से एक तहखाने को पत्थर की चिनाई और कुछ तहखानों को मलबा डालकर बंद कर दिया गया। ASI ने इनकी जांच के लिए पहले इसे साफ़ कराया और इनके भीतर से वह प्रतीक निकाले, जो कि परिसर में मंदिर होने का प्रमाण देते हैं। 

रिपोर्ट में बताया आगे कहा गया है कि सबसे आवश्यक प्रतीक दक्षिणी तहखानों में पाए गए हैं। इन तहखानों का नामकरण ASI की टीम ने S1-S6 तक किया है। ASI के मुताबिक, S2 और S1 से भीतर जाने के पञ्च रास्ते हैं। लेकिन सभी को ईंटों से बंद कर दिया गया था या फिर पत्थर और उस पर सीमेंट लगाकर बंद कर दिया गया। इसी प्रकार S3 के सभी एंट्री गेट्स को मिट्टी भरकर या फिर पत्थर के जरिए बंद कर दिया गया। 

तहखानों से निकले कई प्रमाण

ASI ने रिपोर्ट में बताया है कि जब S1 तहखाने में ASI की टीम पहुंची तो इसके एंट्री पॉइंट्स को जान बूझकर ईंटों और मलबे से बंद कर दिया गया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि S2 तहखाना यहां पाई गई कलाकृतियों को भरने ममें प्रयोग में लाया गया था। इन तहखानों में से एक छोटा मंदिर, भगवान विष्णु की मूर्ति। शैव द्वारपाल और हनुमान जी की मूर्ति और कई हिन्दू कलाकृतियां निकली हैं। 

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ASI से रिपोर्ट से यह तथ्य भी सामने आया है कि पश्चिमी दीवार वाले क्षेत्र से बड़ी संख्या में शिवलिंग और इससे संबंधित अरघा मिला है। यहां से भगवान विष्णु के भी विग्रह मिले हैं। इनमें से एक पूर्ण है और दूसरा उनकी बैठी हुई मुद्रा को दिखाता है। यहां से भगवान कृष्ण की एक प्रतिमा और भगवान गणेश का पत्थर निर्मित एक सिर भी मिला है। नंदी की भी तोड़ी हुई दो मूर्तियां परिसर से बरामद हुई हैं। इसके साथ ही क्षत-विक्षत अवस्था कई हिन्दू धर्म के प्रतीक मिले हैं, जिनकी पहचान नहीं हो पाई है। 

संगमरमर के हिस्से पर काले रंग से लिखा ‘राम’

परिसर से संगमरमर का एक टूटा हुआ हिस्सा भी बरामद हुआ है, जिस पर काले रंग से राम लिखा हुआ है। एक बिना सिर वाली मूर्ति भी मिली है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति बताई गई है। इसके अलावा मूर्ति का एक धड़ भी बरामद हुआ है। तहखाने से चिलम, हुक्का और लालटेन जैसी कई अन्य वस्तुएं भी मिली हैं।

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ASI ने बताया कि ढांचे के भीतर से हिन्दू देवी-देवताओं की कुल 55 मूर्तियां मिली हैं। जिनमें 15 शिवलिंग हैं। इसके अलावा भगवान विष्णु की तीन, भगवान कृष्ण की दो, नंदी की दो और भगवान पवनपुत्र हनुमान की पांच मूर्तियां मिली हैं। 


कुल मिलाकर 259 पत्थर की आकृतियाँ बरामद की गई हैं। इनमें 55 पत्थर की मूर्तियाँ, 21 घरेलू सामग्री, 5 अभिलेख और 176 वास्तुशिल्प हैं। इसके अलावा, धातु के 113 समान और 93 सिक्के मिले हैं। इन सिक्कों में इनमें 40 ईस्ट इंडिया कंपनी, 21 क्वीन विक्टोरिया और तीन शाह आलम बादशाह-द्वितीय के सिक्के हैं।

हिन्दू शिलालेखों पर मिले रूद्र, उमेश्वर जैसे नाम

ज्ञानवापी परिसर के अंदर से मूर्तियों के अलावा कई अन्य साक्ष्य मिले हैं, जो इसे मंदिर होने की ओर इशारा करते हैं। ASI की रिपोर्ट में कहा गया है कि मस्जिद को बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए स्तम्भों पर कई ऐसी आकृतियाँ हैं, जिनका संबंध हिन्दू धर्म से है। इन्हें मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने में उपयोग किया गया है। इसके अलावा, मस्जिद के अंदर से 34 शिलालेख मिले हैं।

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कई भाषाओँ और लिपियों में लिखे लेख

ये शिलालेख हिन्दू मंदिर की जानकारी से जुड़े हैं। ये शिलालेख देवनागरी, कन्नड़ और तेलुगु जैसी भाषाओं में लिखे गए हैं। इन पर रूद्र, उमेश्वर और जनार्दन जैसे नाम अंकित हैं। गौरतलब है कि रूद्र भगवान शिव को कहा जाता है। उमेश्वर शब्द उमा और ईश्वर से बना है। उमा देवी पार्वती को कहा जाता है। इसके अलावा, यहाँ एक शिलालेख मस्जिद की जानकारी देने वाला पाया गया है।

ASI की रिपोर्ट बताती है कि मस्जिद की जानकारी देने वाला शिलालेख में बताया गया है कि इस मस्जिद का निर्माण आलमगीर (मुगल आक्रांता औरंगजेब) ने वर्ष 1676-79 में करवाया था। इसमें वर्ष 1792-93 में इस मस्जिद की मरम्मत का भी जिक्र है। इस बार जब यह शिलालेख मिला तो इस पर से वे तारीखें खरोंच कर मिटा दी गई हैं।
 

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