बनारस में क्वीयर प्राइड मार्च का भव्य आयोजन : समानता, सम्मान और अधिकारों की आवाज़ उठाने को सड़कों पर उतरा समुदाय

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वाराणसी। सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक समरसता के प्रतीक बनारस ने रविवार को एक बार फिर अपनी प्रगतिशील पहचान को मजबूती दी। गुलाब बाग, सिगरा से मलदहिया तक क्वीयर प्राइड मार्च रंग-बिरंगे परिधानों, इंद्रधनुषी झंडों और ऊर्जावान नारों के बीच भव्य रूप से निकाला गया। LGBTQIA+ समुदाय, सामाजिक कार्यकर्ताओं और बड़ी संख्या में नागरिकों ने इसमें भाग लेकर समान अधिकार, गरिमा और सुरक्षित जीवन के समर्थन में बुलंद आवाज़ उठाई।

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मार्च का शुभारंभ गुलाब बाग पार्क, सिगरा से हुआ, जहाँ रंग-बिरंगे झंडे, मेकअप, पारंपरिक परिधान और विविध पोस्टरों ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। कार्यक्रम का परिचय आरोही ने कराया। मार्च जीजीआईसी मलदहिया, इंग्लिशिया लाइन, फूलमंडी, काशी विद्यापीठ साजन चौराहा होते हुए वापस आईपी मॉल से गुज़रता हुआ पुनः गुलाब बाग पार्क पर समाप्त हुआ।

“समानता का अधिकार, हर नागरिक का अधिकार” — पोस्टरों में दिखा संदेश

मार्च के दौरान प्रतिभागियों ने—

  • समानता,

  • भेदभाव-मुक्त शिक्षा,

  • सुरक्षित स्वास्थ्य सेवाएँ,

  • रोजगार अवसर,

  • और संवेदनशील सामाजिक वातावरण
    जैसे मुद्दों पर अपनी मांगें रखीं।
    ट्रांसजेंडर और क्वीयर व्यक्तियों के अधिकारों से जुड़े पोस्टर और जनसंवाद मार्च की मुख्य पहचान रहे।

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सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रोफेसरों ने रखे विचार

सीतापुर से NAPM की राज्य संयोजक ऋचा सिंह ने कहा—
“बनारस विविधता का केंद्र है। यहाँ ट्रांसजेंडर और क्वीयर समुदाय की लड़ाई को और मजबूती से उठाने की आवश्यकता है। उनकी बराबरी की मांग सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”

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काशी विद्यापीठ के प्रोफेसर संजय ने अपने संबोधन में कहा—
“बनारस सर्वधर्म और सर्वपंथ की प्रतिनिधि धरती है। यहाँ क्वीयर समुदाय की स्वीकार्यता बढ़नी चाहिए, क्योंकि यह शहर हमेशा नए विचारों और समावेशी सोच का स्वागत करता आया है।”

ट्रांसजेंडर ऐक्ट 2019 के प्रभावी क्रियान्वयन की उठी माँग

सभा में हेतवी ने ट्रांसजेंडर (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 की जमीनी स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा—

  • पहचान प्रमाणपत्र जारी करने में देरी,

  • भेदभाव-मुक्त माहौल की कमी,

  • शिक्षा व रोजगार में समान अवसरों का अभाव,

  • सरकारी विभागों में संवेदनशीलता प्रशिक्षण की कमी
    जैसी चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं।

उन्होंने सरकार से मांग की कि—

  • सभी विभागों में स्पष्ट दिशानिर्देश लागू किए जाएँ,

  • समुदाय की भागीदारी से निगरानी तंत्र विकसित किया जाए,

  • ट्रांसजेंडर समुदाय की वास्तविक जरूरतों को प्राथमिकता दी जाए।

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सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बढ़ाया उत्साह

मार्च स्थल पर प्रिज़मैटिक फाउंडेशन, लोक समिति, एशियन ब्रिज इंडिया, दख़ल सहित कई संगठनों ने जानकारीपूर्ण स्टॉल लगाए।
क्वीयर और ट्रांसजेंडर कलाकारों ने अपने मुद्दों पर आधारित गीत, नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया।

लोक समिति की ओर से नन्दलाल मास्टर और उनके दल ने जनगीतों से माहौल में ऊर्जा भर दी।

अनेक संगठनों और व्यक्तियों की रही सक्रिय भागीदारी

मार्च में प्रमुख रूप से—
नीति, टैन, आर्या, अनन्या, मिथि, साहिल, स्मृति, हेतवी, श्रेया, उदय, अर्जुन, तुषार, बंटी, ओम, अनामिका, अनुराग, जैसिक, केटी, राधा, नितिन जाह्नवी, प्रेम नट, वरिष्ठ गांधियन रामधीरज भाई, जागृति राही, डॉ आनंद प्रकाश तिवारी, मूसा आज़मी, धनंजय, महेंद्र, रंजू, दीपक पुजारी, विजेता, सौरभ, सचिन आदि बड़ी संख्या में सहभागी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन दीक्षा और अनन्या ने किया, जबकि स्वागत नीति ने किया। क्वीयर प्राइड मार्च 2025 ने बनारस की समावेशी और प्रगतिशील पहचान को और मजबूत किया। इस मार्च ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि— समानता, सम्मान और गरिमा किसी भी नागरिक के लिए मूल अधिकार हैं, और समाज की जिम्मेदारी है कि वह हर व्यक्ति को सुरक्षित और स्वीकृत वातावरण प्रदान करे।

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