Ganga Pushkaram 2023 : तमिल संगमम के बाद अब काशी में तेलुगू राज्यों के आस्थावानों का होगा संगम, गंगा पुष्करम मेले को पीएम मोदी कर सकते है संबोधित

वाराणसी। धर्म की नगरी काशी (Kashi) में 12 वर्षो के पश्चात गंगा पुष्करम मेले (Ganga Pushkaram 2023) का आयोजन किया जा रहा है। बीते साल काशी तमिल संगमम (Kashi Tamil Samgamam) के बाद अब वाराणसी (Varanasi) में तेलुगू (Telugu) भाषी राज्यों आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) और तेलंगाना (Telangana) के लाखों श्रद्धालु जुटेंगे। 22 अप्रैल से शुरू होने वाले इस मेले में को आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) भी संबोधित कर सकते हैं। काशी के विभिन्न घाटों (Ghats of Kashi) पर ये मेला 3 मई तक चलेगा। ऐसे में काशी के मंदिरों और घाटों पर पुष्करालु मेले में आए श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस (Varanasi Police Commissionerate) अपनी तैयारियों को दुरुस्त करने में जुटी है। घाट और मंदिरो के साथ शहर के विभिन्न स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे को बढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा नगर निगम और जिला प्रशासन की ओर से भी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। वाराणसी में होने वाले पुष्कर मेले की संपूर्ण निगरानी राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिन्हा राव के द्वारा की जा रही है।
जानकारी के अनुसार मोदी-योगी सरकार की ओर से प्रशासन को इस आयोजन को भव्यता से करवाने का निर्देश दिये गये हैं। यही वजह है कि मेले से पहले 21 अप्रैल से ही काशी में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन शुरू हो जाएगा। पुष्करम या पुष्करालु मेले में आने वाले श्रद्धालु सबसे ज्यादा ललिताघाट, मणिकर्णिका घाट, केदार घाट और केदार खंड के तमाम घाटों पर नजर आएंगे।
पुष्करालु मेले में आंध्र और तेलंगाना के श्रद्धालु लाखों की संख्या में 29 अप्रैल को पहुंचने वाले हैं। माना जा रहा है कि 29 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्च्युअल माध्यम से श्रद्धालुओं को संबोधित कर सकते हैं। पुष्करालु मेले के तहत 29 अप्रैल को चौकी घाट पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है और इसी आयोजन में पीएम मोदी के संबोधन की संभावना व्यक्त की गई है। ऐसे में जिला प्रशासन में भी तैयारियां तेज कर दी है। पुष्कर मेले के सफल आयोजन और श्रद्धालु की सुविधा व सुरक्षा को लेकर अधिकारियों के द्वारा तैयारियां कर ली गई है।
एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान के तहत पुष्करालु मेले में गंगा तट पर लाखों की संख्या में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा में करीब 1000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी। इसके साथ ही जल पुलिस और एनडीआरएफ की टीम भी तैनात रहेगी। श्रद्धालुओं के गंगा स्नान के दौरान लगातार एनडीआरएफ और जल पुलिस की निगरानी बनी रहेगी। अधिकारियों के अनुसार मेले को लेकर शहर को 4 जोन में बांटा गया है। मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत ना हो इसके लिए विभिन्न घाटों पर करीब 24 हेल्पडेस्क लगाए जाएंगे। वहीं नगर निगम की तरफ से घाटों की स्वच्छता को लेकर कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई गई है। घाटों पर स्नान के बाद महिला श्रद्धालुओं को कपड़े बदलने में कोई दिक्कत ना हो इसके लिए नगर निगम की टीम ने 50 से अधिक चेंजिंग रूम की व्यवस्था की है।
पुष्करालु मेले में आने वाले श्रद्धालु मां गंगा के स्नान के साथ बाबा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन करेंगे। इसके अलावा विशालाक्षी मंदिर, संकटमोचन, काल भैरव मंदिर, मां कुष्मांडा देवी मंदिर (दुर्गाकुंड), महामृतुंजय मंदिर, केदारेश्वर मंदिर में दर्शन-पूजन करेंगे। बता दें कि पुष्करालु मेले का आयोजन इससे पहले वर्ष 2011 में वाराणसी में किया गया था। वर्ष 2011 में मेले में अनुमान से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे थे। ऐसे में वर्ष 2023 में होने वाले पुष्करालु मेले में श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई दिक्कत ना हो इसको लेकर पहले से ही तैयारियां पूरी कर ली जा रही हैं।
क्या है पुष्करालु मेला
पुष्करालु को पुष्करम भी कहते हैं। ये मूलत: यह दक्षिण भारत का त्योहार है जो नदियों की पूजा को समर्पित है। यह भारत में 12 प्रमुख पवित्र नदियों के किनारे तीर्थस्थलों पर पूर्वजों की पूजा , आध्यात्मिक प्रवचन, भक्ति संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के रूप में मनाया जाता है। उत्सव प्रत्येक नदी के किनारे 12 वर्षों में एक बार वार्षिक रूप से होता है। प्रत्येक नदी एक राशि चिन्ह से जुड़ी होती है, और प्रत्येक वर्ष के त्योहार के लिए नदी इस बात पर आधारित होती है कि उस समय बृहस्पति किस राशि में है। क्षेत्रीय विविधताओं के कारण, कुछ राशियाँ कई नदियों से जुड़ी हैं। 12 राशियों में से प्रथम मेष राशि में बृहस्पति के होने पर यह मेला काशी में गंगा नदी के तट पर मनाया जाता है।
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