बीएचयू अस्पताल में भ्रष्टाचार को लेकर फिर मुखर हुए प्रोफेसर ओमशंकर, कार्रवाई की उठाई मांग 

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वाराणसी। बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितताओं और निजीकरण की साजिशों का आरोप लगाते हुए कार्डियोलाजी विभाग के प्रोफेसर ओमशंकर मुखर हो गए हैं। उन्होंने प्रेसनोट जारी कर अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रो. केके गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाए। साथ ही सख्त कार्रवाई की मांग की। 

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प्रेस नोट में आरोप है कि MRI सेवा का ठेका एक फर्जी GST नंबर वाली कंपनी को सौंपा गया, जबकि निविदा समिति ने इसका विरोध किया था। इस मामले में जिला न्यायालय ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया और उच्च न्यायालय ने भी FIR रद्द करने से इंकार कर दिया। बीएचयू द्वारा गठित जांच समिति ने भी टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी की पुष्टि की है। कोविड काल के दौरान प्रो. गुप्ता पर PPE किट, मास्क और अन्य उपकरणों की खरीदी में भारी अनियमितता के आरोप हैं। कैग की रिपोर्ट में भी इन घोटालों का उल्लेख किया गया है।

कायाकल्प योजना के तहत अस्पताल के सौंदर्यीकरण में करोड़ों खर्च होने के बावजूद सुविधाओं में सुधार नहीं हुआ, और घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल हुआ। इसके अलावा लाभकारी 'CCI लैब' को एक ब्लैकलिस्टेड कंपनी को सौंपने का आरोप भी लगाया गया है, जिससे मरीजों की जांच महंगी हो गई और गुणवत्ता भी प्रभावित हुई।

प्रो. गुप्ता पर संस्थान के आंतरिक आदेशों की अवहेलना कर हृदय रोग विभाग के 49 बेड जबरन हटवाने का आरोप भी है, जिससे हजारों मरीजों को निजी अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ा। ऑपरेशन थिएटर में मरीज भर्ती कराने जैसे अवैध निर्देशों से मरीजों की जान को खतरे में डालने का आरोप भी शामिल है।

प्रो. ओमशंकर ने मांग की है कि प्रो. गुप्ता को तत्काल हटाया जाए, एफआईआर के आधार पर गिरफ्तारी की जाए, और टेंडर घोटालों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलनात्मक कदम उठाने होंगे।

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