BHU अस्पताल के तर्ज पर UP के अस्पतालों में इमरजेंसी सेवा देने की तैयारी, प्रमुख सचिव के साथ BHU में 18 जिलों के CMO करेंगे मंथन
May 25, 2023, 14:44 IST

वाराणसी। पूर्वांचल का एम्स कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सर सुंदर लाल चिकित्साल के इमरजेंसी सेवा के तर्ज पर यूपी के अस्पतालों में सेवा देने की तैयारी की जा रही है। उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा की अध्यक्षता में शुक्रवार (26 मई) को बीएचयू ट्रामा सेंटर में कार्यशाला का आयोजन किया गया है। आईसीएमआर स्टेमी केयर प्रोजेक्ट के तहत हृदयाघात से बचाव के लिए ECG व थ्रंबोलिसिस थेरेपी को लेकर प्रदेश स्तरीय बैठक व प्रशिक्षण कार्यशाला में यूपी के करीब 18 जिलों के CMO शामिल होंगे। इसके साथ ही कार्यशाला में वाराणसी के चिकित्सक व स्टाफ नर्स शामिल होकर हृदयाघात उपचार परियोजना (स्टेमी केयर प्रोजेक्ट) के बारे में विस्तृत चर्चा करेंगे।

बीएचयू के ट्रामा सेंटर में आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला में प्रमुख सचिव विभिन्न बिन्दुओं व विषयों पर संवाद करेंगे। इस मौके पर चिकित्सकों व स्टाफ नर्स को ईसीजी व थ्रंबोलिसिस थेरेपी के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। कार्यक्रम को लेकर वाराणसी CMO संदीप चौधरी ने बताया कि हृदयाघात उपचार परियोजना से जिले में हार्टअटैक के मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। वाराणसी जिले को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चिन्हित किया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत जिले के मण्डलीय एवं जिला चिकित्सालयों सहित सभी सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में दिल के मरीजों को इलाज की सुविधा दी जाएगी। उन्होंने बताया कि मरीजों की जांच के लिए सभी चिकित्सा इकाइयों पर ईसीजी मशीनों के साथ अन्य उपकरण उपलब्ध कराए गये हैं। चिकित्सक व कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है यहां पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इसे दूसरे जिलों में लागू किया जाएगा।

वाराणसी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी संदीप चौधरी ने कहा कि प्रदेश में बहु विषयक अनुसंधान इकाई (एमडीआरयू) आईएमएस बीएचयू में है। यहां रिसर्च के लिए विशेषज्ञ तैनात हैं देश के जिन राज्यों में एमडीआरयू है, वहां पर स्टेमी केयर प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इसी वजह से वाराणसी को भी यह सुविधा मिली है। ग्रामीण क्षेत्र में हार्टअटैक के बाद उच्च शिक्षा संस्थान आईएमएस बीएचयू तक पहुंचने से पहले ही लोगों की मौत हो जाती है या गंभीर हो जाते हैं। इस नई व्यवस्था में लोग सीधे नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र जाएंगे जहां ईसीजी होगी। इसकी रिपोर्ट कार्डियोलॉजी विभाग आईएमएस बीएचयू सुपर स्पेशलिटी के विशेषज्ञों को भेजकर उनके निर्देश के अनुसार ईलाज किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि थ्रोम्बोलिसिस या थ्रोम्बोलाइटिक थेरेपी रक्त वाहिकाओं में खतरनाक थक्कों को भंग करने, रक्त के प्रवाह में सुधार करने और अंगों और ऊतकों को नुकसान को रोकने के लिए किया जाने वाला एक प्रकार का उपचार है। थ्रोम्बोलिसिस में रक्त वाहिका के अंदर बनने वाले रक्त के थक्के को तोड़ने या भंग करने के लिए कुछ दवाओं का उपयोग शामिल होता है। इस प्रक्रिया के बिना रक्त के थक्के बढ़ सकते हैं, ढीले हो सकते हैं, और ऊतकों और अंगों को रक्त की आपूर्ति में कटौती कर सकते हैं। इससे दिल का दौरा, स्ट्रोक (मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति बंद हो जाती है), और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। रोगी की स्थिति के आधार पर थ्रोम्बोलिसिस का उपयोग अनुसूचित उपचार के रूप में या आपात स्थिति में किया जा सकता है।
इस कार्यशाला में मुख्य संरक्षक की भूमिका में बीएचयू के कुलसचिव व संरक्षक के रूप में बीएचयू के अधिशिक्षक (रेक्टर) मौजूद रहेंगे। गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में आईएमएस बीएचयू के निदेशक, अनुसंधान के डीन, सरसुंदर लाल चिकित्सालय के अधीक्षक, ट्रामा सेंटर के प्रभारी, टीएसयू मेडिकल हेल्थ उत्तर प्रदेश सरकार के कार्यकारी निदेशक, मुख्य चिकित्सा अधिकारी वाराणसी व हार्ट इंडिया चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष मौजूद रहेंगे। आईसीएमआर विशेषज्ञ के रूप में केजीएमयू लखनऊ के प्रो डॉ एसके द्विवेदी, आईजीएमसी शिमला के प्रो डॉ पीसी नेगी, एनसीडी डिवीजन के वैज्ञानिक डॉ मीनक्षी शर्मा व डॉ रूपा एस मौजूद रहेंगी। मोडरेटर के रूप में हृदयरोग विभागाध्यक्ष समेत कई विभागों के विभागाध्यक्ष, चिकित्सक व विशेषज्ञ मौजूद रहेंगे। संयोजक के रूप में आईएमएस बीएचयू में हृदयरोग विभाग के प्रोफेसर व स्टेमी केयर प्रोजेक्ट के प्रधान अन्वेषक डॉ धर्मेंद्र जैन मौजूद रहेंगे। सह संयोजक के रूप में जनपद स्तरीय नोडल अधिकारी डॉ निकुंज कुमार वर्मा, सह नोडल अधिकारी डॉ शिव शक्ति द्विवेदी, डॉ अतुल सिंह व डॉ पायल सिंह मौजूद रहेंगी।

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