ज्ञानवापी के तहखाने में जारी रहेगा पूजा-पाठ, कोर्ट ने हिंदू पक्ष की तहखाने की छत पर नमाजियों को रोकने वाली मांग को किया ख़ारिज

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वाराणसी। ज्ञानवापी के तहखाने की छत पर नमाजियों को रोके जाने की हिंदू पख की याचिका को कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है। कोर्ट ने तहखाने की छत की मरम्मत वाली याचिका को भी ख़ारिज कर दिया है। हालांकि कोर्ट ने व्यासजी तहखाने में पूजा-पाठ जारी रखने के आदेश दिए हैं। हिंदू पक्ष की याचिका पर सिविल जज सीनियर डिवीज़न हितेश अग्रवाल की अदालत ने यह आदेश दिया है। 

हिंदू पक्ष ने याचिका में मांग किया था कि ज्ञानवापी के व्यासजी के तहखाने की छत काफी कमजोर है। उस पर मुस्लिमों की चहलकदमी से तहखाने को खतरा हो सकता है। इसलिए नमाजियों की एंट्री रोकी जाय। अब हिंदू पक्ष की याचिका ख़ारिज होने के बाद इस याचिका को जिला कोर्ट में पेश किया जायेगा। फिलहाल ज्ञानवापी के छत पर नमाज पढ़ी जाती है और तहखाने में पूजा होती है। 

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यह याचिका 16 दिसंबर 2023 को नंदीजी महाराज विराजमान की ओर से लखनऊ जन उद्घोष सेवा संस्था की सदस्य आकांक्षा तिवारी, दीपक प्रकाश शुक्ला, अमित कुमार, और सुविद प्रवीण ने दाखिल की थी।

हिंदू पक्ष का तर्क: कमजोर छत

हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि व्यास तहखाना पुराना है, और उसकी छत काफी कमजोर हो चुकी है। छत से पानी टपकता है और पिलर भी कमजोर हैं। उनके अनुसार, नमाजियों की आवाजाही से छत को और नुकसान पहुंच सकता है, इसलिए मरम्मत कराने की आवश्यकता है और नमाजियों की छत पर एंट्री रोकी जानी चाहिए।

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मुस्लिम पक्ष का जवाब: छत मजबूत है

मुस्लिम पक्ष ने याचिका का विरोध करते हुए कोर्ट में कहा कि छत इतनी कमजोर नहीं है कि किसी के आने-जाने से क्षतिग्रस्त हो जाए। मुस्लिम समुदाय सालों से वहां नमाज अदा करता आ रहा है, और जितनी क्षमता है, उतने ही लोग नमाज पढ़ते हैं। उनका यह भी कहना है कि नमाजियों का छत पर अनावश्यक घूमना या जूते-चप्पल पहनकर तहखाना या मस्जिद के आसपास जाना बिल्कुल नहीं होता।

31 साल बाद तहखाना खुला

31 जनवरी 2024 को, वाराणसी कोर्ट के आदेश पर, व्यास तहखाने का ताला 31 साल बाद खोला गया। तहखाने में मूर्तियों की पूजा की गई और धार्मिक चिह्नों का पूजन भी किया गया। पारंपरिक पुजारी परिवार ने इस तहखाने में पूजा की अनुमति के लिए याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने मान लिया था।

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