बच्चा चोर गैंग की मास्टरमाइंड शिखा समेत तीन सदस्यों को पुलिस ने पांच दिन की रिमांड पर लिया

14 मई को बच्चे के अपहरण के बाद हुआ था खुलासा
दस आरोपितों को पुलिस ने गिरफ्तार कर भेजा है जेल
अन्य अपहृत बच्चों की बरामदगी के लिए पुलिस दे रही दबिश
वाराणसी। भेलूपुर और लंका पुलिस की कार्रवाई के दौरान पिछले दिनों गिरफ्तार किये गये अंतरराज्यीय बच्चा चोर गैंग की मास्टरमाइंड शिखा मोदनवाल समेत तीन सक्रिय सदस्यों की अदालत ने पांच दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड मंजूर कर ली। इनके पुलिस कस्टडी रिमांड की अवधि शनिवार की सुबह दस बजे से शुरू हो चुकी है। 31 मई की शाम पांच बजे इनके रिमांड की अवधि समाप्त होगी। इस दौरान इनसे पूछताछ के आधार पर पुलिस टीमें इनके साथ विभिन्न ठिकानों पर दबिश देंगी। पुलिस को उम्मीद है कि गिरोह के तीन सदस्यों द्वारा अपहृत और बच्चों की बरामदगी हो सकेगी और कई बड़े राज खुलेंगे।
गौरतलब है कि 14 मई की देर रात रवींद्रपुरी कालोनी स्थित आचार्य रामचंद्र शुक्ल चौराहा के पास पटरी पर सो रहे दम्पती के बीच सोये उनके चार वर्ष के बेटे का अपहरण कर लिया गया था। घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी। इस आधार पर पुलिस ने मंडुवाडीह थाना क्षेत्र के सिंदूरिया पोखरा निवासी संतोष गुप्ता, उसकी साली और मास्टरमाइंड शिखा मोदनवाल समेत विभिन्न स्थानों से गिरोह के दस लोगों को गिरफ्तार कर घटना का खुलासा किया था। गिरोह की निशानदेही पर पुलिस ने राजस्थान और झारखंड में दो से पांच लाख में बेचे गये तीन बच्चों को बरामद करने के साथ इनके कब्जे से एक कार बरामद की थी।
पुलिस को पता चला कि इस गिरोह ने वाराणसी, मिर्जापुर, प्रयागराज, सोनभद्र और राजस्थान में और कई बच्चों को बेचा है। कुछ और राज्यों से भी बच्चे चुराने और उन्हें बेचने की जानकारी मिली है। उन अपहृत बच्चों की बरामदगी के लिए भेलूपुर थाने के विवेचक आनंद चौरसिया ने अदालत ने रिमांड अर्जी दी थी। विवेचक ने आठ दिन की रिमांड मांगी थी लेकिन अदालत ने पांच दिन के रिमांड की मंजूरी दी। रिमांड पर लिये गये अपहर्ताओं में सिंदूरिया पोखरी की मुख्य आरोपित शिखा मोदनवाल, उसका बहनोई संतोष गुप्ता, जयपुर राजस्थान के मनीष जैन हैं।
बड़ी शातिर और क्रूर है शिखा मोदनवाल
मंडुवाडीह थाना क्षेत्र के सिंदूरिया पोखरा की शिखा मोदनवाल बनारस के मंदिरों, धार्मिक स्थलों और मेलों में अक्सर घूमती रहती थी। कभी कार से तो कभी आटो से दिनभर बच्चों की तलाश करती थी। कार उसका बहनोई संतोष गुप्ता चलाता था। विनय मिश्र बच्चे उठाता रहा। छोटे-छोटे बच्चों को अपहृत कर तीनों उन्हें ले जाते और जब बच्चा रोता को उसे तरह-तरह से डराते थे। सूत्रों के अनुसार जब बच्चों को बेचने के लिए बाहर ले जाना होता था तो रास्ते में जाते समय बच्चा शांत रहे इसलिए नशीली दवाओं का भी इस्तेमाल करते थे। बच्चों को उठाने का काम विनय मिश्रा करता था। गिरोह में शामिल झारखंड की यशोदा और मुकेश को भी गिरफ्तार किया गया है। यह गिरोह लम्बे समय से बच्चा चोरी कर उन्हें बेचने का काम करता रहा। पुलिस के हत्थे सबसे पहले गिरोह की ड्राइवर संतोष गुप्ता लगा तो राज खुलने शुरू हुए।
कार के नम्बर ने खोला राज
रवींद्रपुरी चौराहा से अपहृत चार वर्ष के बच्चे की तलाश जब शुरू हुई तो पुलिस ने करीब सौ से अधिक सीसीटीवी फुटेज खंगाले। एक फुटेज में बच्चा उठाते संतोष गुप्ता दिखा और उनकी कार दिख गई। अटिंगा कार का नम्बर यूपी 65 ईआर 5183 था। अब पुलिस कार मालिक के पास पहुंची। मालिक ने बताया कि उसकी कार किराये पर ली गई थी। उसकी निशानदेही पर सिंदुरिया पोखरी निवासी आरोपित ड्राइवर संतोष गुप्ता पुलिस के हाथ लग गया। घटना के समय संतोष की कार चला रहा था। कार में उसका साथी विनय मिश्रा मौजूद था। विनय ने ही बच्चे को उसके माता-पिता के बीच से उठाया था। गिरोह ने खुद पुलिस को बताया कि वह हम लोग गरीब व भिक्षा मांग कर जीवन यापन करने वाले परिवारों के बच्चों को निशाना बनाते हैं। इन बच्चों की चोरी कर राजस्थान, झारखंड व बिहार में दलालों के माध्यम से दो से पांच लाख रुपये में निसंतान दंपती या जरूरत मंद लोगों को बेच देते हैं। जो पैसा मिलता है उसे बांट लेते हैं।
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