बनारस में चाइनीज मांझा पर पुलिस ने लगाया बैन, पतंग उड़ाते पकड़े गए तो खैर नहीं, रोपवे के लिए भी बन रहा खतरा
चाइनीज मांझे पर प्रशासन का प्रतिबंध
वाराणसी के अपर पुलिस आयुक्त एस. चिनप्पा ने चाइनीज मांझे पर प्रतिबंध लगाते हुए सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति चाइनीज मांझे के साथ पकड़ा जाएगा, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। इसके बावजूद, शहर के दालमंडी और अन्य इलाकों में इस प्रतिबंधित मांझे की बिक्री खुलेआम जारी है। सूत्रों के मुताबिक, बाजार में 10 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य का चाइनीज मांझा स्टॉक किया जा चुका है।

अवैध कारोबार का बढ़ता जाल
शहर के दालमंडी, लोहता, चेतगंज, आदमपुर और शिवपुर जैसे क्षेत्रों में चाइनीज मांझा थोक और फुटकर दोनों रूपों में बिक रहा है। प्रशासन के छापों में बड़ी मात्रा में मांझा बरामद होने के बावजूद, कठोर कार्रवाई की कमी के चलते यह अवैध कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा।

निर्माण परियोजनाओं को भी खतरा
कैंट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया तक बन रहे रोपवे के लिए चाइनीज मांझा एक बड़ी समस्या बन गया है। निर्माण कार्य में लगी एजेंसियों ने बताया कि चाइनीज मांझे से रोपवे की केबलों को नुकसान हो सकता है, जिससे संचालन बाधित होने का खतरा है। प्रशासन और जनता की जागरूकता के बिना इस समस्या का समाधान मुश्किल है।

मौतों का सिलसिला
चाइनीज मांझा वाराणसी में कई जानलेवा हादसों का कारण बन चुका है। 29 अगस्त 2020 को, नदेसर निवासी संदीप की 7 वर्षीय बेटी कृतिका का गला मांझे से कट गया था, जिससे उसकी मौत हो गई। 2021 में चौकाघाट फ्लाईओवर पर भदोही निवासी आकाश शुक्ला का गला मांझे से कट गया और अत्यधिक खून बहने से उनकी मौत हो गई।

इसके अलावा, 2018 में बिजली विभाग के रिटायर्ड एसडीओ ओवेस अंसारी और सिगरा निवासी मुन्ना विल्सन जैसे कई लोगों की जान गई। इन हादसों ने लोगों को झकझोर दिया, लेकिन प्रशासनिक सख्ती की कमी के कारण यह खतरनाक मांझा अब भी उपलब्ध है।

चाइनीज मांझे का खतरनाक विज्ञान
चाइनीज मांझा नायलॉन और मेटालिक पाउडर से तैयार किया जाता है, जिसमें कांच और लोहे का चूर्ण मिलाया जाता है। यह मांझा इतना मजबूत और धारदार होता है कि गले और त्वचा को आसानी से काट सकता है। भारत में पारंपरिक सूती धागे से बने मांझे की तुलना में यह मांझा कहीं अधिक खतरनाक है।

