काशी की काष्ठ कला पर चढ़ा गुलाबी मीनाकारी का रंग, बनारस में बने लकड़ी के खिलौनों की विदेशों में भी डिमांड
वाराणसी। जनपद के काष्ठ कलाकारों ने अनोखा शोध किया है। बनारस के आर्टिजन लकड़ी के खूबसूरत खिलौनों पर गुलाबी मीनाकारी जैसा रंग भर उसकी खूबसूरती बढ़ा रहे है। पहली बार काष्ठ कलाकारों ने मोर पर यह रंग भरा हैं। मुम्बई, हैदराबाद, चेन्नई, बैंगलुरु,दिल्ली समेत कई बड़े शहरों से इसके ऑर्डर कारीगरों के पास आ रहे हैं। युवा आर्टिजन शुभी अग्रवाल ने इसकी डिजाइन तैयार की है और फिर इसे काष्ठ कला पर उकेरा है।
विदेशों से भी आ रही खूब डिमांड
शुभी ने बताया कि गुलाबी मीनाकारी वाले इस खूबसूरत काष्ठ कला के मोर,हाथी के सैम्पल को कनाडा भी मंगाया गया है। सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही विदेशों में भी लकड़ी पर उकेरे गए गुलाबी मीनाकारी वाले खूबसूरत मोर और हाथी धूम मचाएंगे। उन्होंने बताया कि इन्हे लकड़ी पर तैयार कर उसमें गुलाबी मीनाकारी का रंग भरा है। राष्ट्रीय पक्षी मोर को उन्होंने 2 डिजाइन और 3 अलग अलग साइज़ में तैयार किया है। जिसकी कीमत 1200 रुपये तक है। इसके अलावा शाही हाथी और भगवान गणेश की कई खूबसूरत प्रतिमा भी उन्होंने तैयार की है।
महिलाओं को भी मिल रहा है रोजगार
शुभी ने बताया महिलाओं के लिए लकड़ी का खिलौना बनाने का काम सुनहरा अवसर बनकर उभरा है। महिलाओं ने दो-दो महीने का प्रशिक्षण लिया हैं। घर के काम के बाद लकड़ी का खिलौना बनाकर महीने में 10 हजार से 15 हजार रुपये की कमाई कर रही हैं। घर-घर में आय का जरिया बन रहे लकड़ी के खिलौने का कारोबार बनारस में 30 करोड़ रुपये के लगभग है। इस कला से यहां की लगभग 1500 महिलाएं जुड़कर अपने हुनर का लोहा देश के साथ-साथ विदेशों में मनवा रही हैं।
- पांडेयपुर की रहने वाली सीता देवी ने बताया लकड़ी का सामान बनाने का गुर सीखना बहुत काम आया है। हर दिन कुछ न कुछ काम मिलता रहता है। ऐसे में हमें परिवार की जरूरतें पूरी करने में समस्याएं नहीं आती हैं।
- चितईपुर की रानी मौर्या ने बताया कि हम ट्रेनर भी हैं। हमें दिनभर में आठ सौ से एक हजार रुपये तक की कमाई हो जाती है। इस कमाई से अतिरिक्त की कोई जरूरत ही नहीं है।
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