महाशिवरात्रि से एक दिन पूर्व होगी काशी की पंचकोसी यात्रा, मणिकर्णिका कुंड पर संकल्प लेकर यात्रा पर निकलेंगे श्रद्धालु, मिलता है अक्षय पुण्य

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वाराणसी। काशी की अंतरगृही पंचकोसी यात्रा महाशिवरात्रि से एक दिन पहले होगी। श्रद्धालु आदि तीर्थ मणिकर्णिका घाट स्थित कुंड पर संकल्प लेकर पांच कोस की यात्रा पर निकलेंगे। काशी की परिक्रमा कर वापस कुंड पर पहुंचकर अपनी यात्रा समाप्त करेंगे। इसको लेकर कुंड की सफाई समेत अन्य इंतजाम किए जा रहे हैं। भीड़ के मद्देनजर पुलिस-प्रशासन की ओर से व्यवस्था की जाएगी। 

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कुंड के प्रधान पुरोहित पंडित जयेंद्रनाथ दुबे ने बताया कि महाशिवरात्रि के एक दिन पहले पंचकोसी यात्रा होगी। यह यात्रा मणिकर्णिका कुंड से शुरू होती है और यहीं आकर समाप्त होती है। काशीवासियों के साथ ही आसपास के इलाके के हजारों लोग यात्रा करने के लिए आते हैं। बताया कि श्रद्धालु कुंड पर संकल्प लेकर यात्रा पर निकलते हैं और यात्रा पूरी कर यहां पहुंचकर पुनः संकल्प लेते हैं। यह काशी का अनादि तीर्थ है। मां गंगा के धरती पर अवतरण से पहले से ही यह चक्रपुष्करिणी कुंड यहां है। ऐसा कहा गया है कि जहां पर मृत्यु मंगलकारी हो और स्वर्ग सुख तिनके के समान हो, वह मणिकर्णिका तीर्थ है। 

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बताया कि कुंड से यात्रा शुरू होकर कंदवा, भीमचंडी, रामेश्वर, कपिलधारा और शिवपुर होते हुए पुनः यहां आकर समाप्त होती है। भगवान विष्णु ने यहां तपस्या की थी। उनके पसीने से इस कुंड की स्थापना हुई। यहां सबसे पहले स्नान महादेव व पार्वती जी ने किया था। कहा गया है कि यहां स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, जो कभी समाप्त नहीं होता। उन्होंने बताया कि दो से ढाई लाख श्रद्धालुओं की भीड़ होती है। भीड़ नियंत्रण को लेकर प्रशासन की ओर से व्यवस्था की जाती है।

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