बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में ऑर्थोपेडिक OT अब रात 10 बजे तक संचालित, 15 दिसंबर से लागू होगी व्यवस्था, गंभीर ट्रॉमा मरीजों को मिलेगा त्वरित इलाज
वाराणसी। बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर में उपचार व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। बढ़ती दुर्घटनाओं, गंभीर ट्रॉमा मामलों और त्वरित सर्जिकल हस्तक्षेप की आवश्यकता को देखते हुए ऑर्थोपेडिक ऑपरेशन थिएटर (OT) के कार्य समय को बढ़ाकर अब प्रतिदिन रात 10 बजे तक संचालित करने का फैसला किया गया है। यह नई व्यवस्था 15 दिसंबर 2025 से औपचारिक रूप से लागू हो जाएगी।
ट्रॉमा सेंटर के आचार्य प्राभारी प्रोफेसर सौरभ सिंह ने बताया कि वाराणसी सहित पूरे पूर्वांचल में सड़क दुर्घटनाओं, औद्योगिक हादसों और गिरने जैसी घटनाओं से संबंधित ट्रॉमा मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। बड़े पैमाने पर मरीज शाम और रात में अस्पताल पहुंचते हैं, जहां उन्हें तत्काल शल्य-चिकित्सा की आवश्यकता होती है। वर्तमान व्यवस्था में देर शाम आने वाले मरीजों की सर्जरी अक्सर अगले दिन के लिए टल जाती थी, जिससे जटिलता और जोखिम बढ़ जाता था। नई व्यवस्था इन चुनौतियों को दूर करने की दिशा में अत्यंत प्रभावी साबित होगी।
विस्तारित OT समय के प्रमुख लाभ
तुरंत सर्जिकल हस्तक्षेप:
देर रात आने वाले गंभीर ट्रॉमा मरीज जैसे polytrauma, खुले फ्रैक्चर (open fractures), vascular injury या head injury with ortho involvement का अब तुरंत ऑपरेशन संभव होगा। इससे मरीज की जान बचाने और अंग बचाने की संभावना काफी बढ़ जाएगी।
प्रतीक्षा समय में कमी:
पहले कई मामलों में सर्जरी अगले दिन तक टल जाती थी, जिससे मरीज की हालत बिगड़ने का खतरा रहता था। अब OT समय बढ़ने से ऐसी देरी कम होगी।
अंग-बचाव प्रक्रियाओं के परिणाम बेहतर:
अत्यधिक जटिल फ्रैक्चर या वैस्कुलर चोटों में जल्दी सर्जरी ही सबसे बड़ा उपचार है। नई व्यवस्था इसे संभव बनाएगी।
इमरजेंसी विभाग में भीड़ कम होगी:
सर्जरी में देरी न होने से मरीजों का दबाव इमरजेंसी में कम होगा और ट्राइएज प्रक्रिया अधिक सटीक व तेज होगी।
संसाधनों का बेहतर उपयोग:
OT उपयोगिता दिनभर संतुलित रहेगी, जिससे मानव संसाधन और उपकरणों का वैज्ञानिक उपयोग हो सकेगा।
प्रशिक्षण सुविधाओं में वृद्धि:
विस्तारित समय के कारण ऑर्थोपेडिक रेजिडेंट्स, फेलोज, नर्सिंग स्टाफ और तकनीशियनों को अधिक व्यावहारिक प्रशिक्षण के अवसर मिलेंगे, जिससे चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता और बेहतर होगी।
क्षेत्रीय ट्रॉमा केंद्र के रूप में मजबूती:
बीएचयू ट्रॉमा सेंटर पहले से ही पूर्वांचल का प्रमुख संदर्भ केंद्र है। विस्तारित OT समय से अन्य अस्पतालों से आने वाले रेफरल मरीजों का उपचार भी अधिक व्यवस्थित और समयबद्ध ढंग से हो सकेगा।
प्रो. सौरभ सिंह ने कहा, “हमारा लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप आपातकालीन सेवा व्यवस्था विकसित करना है। OT समय विस्तार उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे मरीजों को समय पर, सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण सर्जिकल सुविधा मिले।” उन्होंने यह भी बताया कि इस नई व्यवस्था को लागू करने के लिए ऑर्थोपेडिक विभाग, एनेस्थीसिया टीम, नर्सिंग सेवा, तकनीकी स्टाफ और प्रशासनिक इकाइयों के बीच विशेष समन्वय स्थापित किया गया है। सभी सपोर्ट सेवाएं रेडियोलॉजी, लैब, ब्लड बैंक, ICU को भी विस्तारित समय के लिए तैयार किया गया है।
15 दिसंबर से लागू होगी नई व्यवस्था
• ऑर्थोपेडिक OT का संचालन प्रतिदिन सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक
• आपातकालीन सर्जरी के लिए समर्पित विशेषज्ञ टीम उपलब्ध
• आवश्यकतानुसार सभी सपोर्ट सेवाओं का पूर्ण समन्वय
• गंभीर मामलों में मृत्यु और विकलांगता की संभावना में कमी

