साल में एक बार मूल स्वरूप में दर्शन देते हैं बाबा कालभैरव, उमड़ेंगे भक्त 

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वाराणसी। इस बार काल भैरव अष्टमी पांच दिसंबर को मनाई जाएगी। इस दिन काशी कोतवाल समेत अष्ट भैरव मंदिर में विशेष श्रृंगार किया जाएगा। वहीं श्रद्धा के साथ बाबा का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि शिव के रौद्र स्वरूप बाबा कालभैरव इसी दिन भक्तों को अपने मूल स्वरूप में दर्शन देते हैं। 

मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरवाष्टमी मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि आज ही दिन देवाधिदेव महादेव कालभैरव स्वरूप में अवतरित हुए थे। भगवान का शिव का ही दूसरा स्वरूप कालभैरव का है, जो दुष्टों का संहार और उन्हें दंडित करते हैं। 

ज्योतिषविदों के अनुसार अष्टमी तिथि चार दिसंबर को रात 10 बजे से अगले दिन पांच दिसंबर को अर्धरात्रि 12.38 बजे तक रहेगी। इस दौरान पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र भी लग रहा है। वह भी चार दिसंबर की रात 12.37 से अगले दिन 3.38 बजे तक रहेगा। पांच को प्रदोष व्यापिनी अष्टमी तिथि का मान होने से बाबा कालभैरव का उत्पत्ति दिवस मनाया जाएगा।

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