वाराणसी में किन मुद्दों पर फेल हुई बीजेपी, इस बार क्यों नहीं चला ‘मोदी लहर’ का जादू, जानिए पूरी कहानी
चुनाव नतीजों की बात करें, इस बार वाराणसी में भाजपा को काफी नुकसान हुआ है। इसके पीछे की एक वजह कम मतदान को होना भी बताया जा रहा है। राजनीति के जानकारों की मानें तो अधिक मतदान से हमेशा सत्ताधारी पार्टी को फायदा हुआ है। लेकिन इस बार पिछले डेढ़ दशक में सबसे कम मतदान हुआ है। जिसका असर सीधा चुनाव नतीजों पर पड़ा है। वैसे मतदान के दिन ही कम मतदान के आंकड़ों ने भाजपा की नींद उड़ा दी थी। मोदी के गढ़ में कम मतदान ने भाजपा नेताओं के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी थी। बीजेपी ने इस बार के चुनाव में पीएम को 10 लाख वोट दिलाने का लक्ष्य निर्धारित कर रखा था। इसी के बूते पर भाजपा ने ‘अबकी बार 400 पार’ का नारा भी दिया था।
वहीं राजनीति के गलियारों के इस बात की भी चर्चा है कि पार्टी के पदाधिकारी इस बार चुनाव प्रचार में जमीन पर न उतरकर राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों को भुनाने में लगे रहे। उन्होंने जनता को राम मंदिर, CAA, POK, ज्ञानवापी आदि में उलझाए रखा। जबकि प्रधानमंत्री द्वारा जारी योजनाओं व परियोजनाओं को काशी की जनता के जुबान से काफी दूर रखा। जिसका नतीजा इस बार के चुनाव परिणाम में देखने को मिला।
वहीं कुछ नेताओं का यह भी मानना है कि भाजपा नेता मोदी और योगी के चेहरे को प्रयोग कर अपनी चुनावी नैया पार लगाना चाहते थे। वह जनता को ‘मोदी लहर’ और ‘मोदी सुनामी’ बताने से भी गुरेज नहीं किए। जबकि इसके ठीक विपरीत इंडी गठबंधन के नेताओं ने स्थानीय मुद्दों को जनता के बीच भुनाना चाहा। सबसे बड़ी विडंबना इस बात की रही कि वाराणसी लोकसभा सीट के अंतिम चरण के चुनाव में केंद्रीय मंत्रीमंडल समेत पार्टी के कई बड़े नेताओं और स्टार प्रचारकों ने इस सीट पर आकर नरेन्द्र मोदी के पक्ष में प्रचार किया। नतीजन न बेहतर मतदान हुआ न बेहतर चुनाव परिणाम निकले।
एक नजर मतदान के आंकड़ों पर
वर्ष मतदान प्रतिशत
2019 58.05 %
2014 58.35 %
2009 42.61 %
2004 42.55 %
1999 45.20 %
कब कितने मार्जिन से जीते मोदी
वर्ष वोटों का अंतर
2014 3,37,000
2019 4,79,000
2024 1,52,513
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