नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि के दर्शन को उमड़े भक्त, शत्रुओं के भय और बाधाओं से मुक्त करती हैं माता

वाराणसी। चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन देवी दुर्गा के कालरात्रि रूप का विशेष महत्व है। इस अवसर पर वाराणसी के कालिका गली स्थित मां कालरात्रि के प्रसिद्ध मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। भक्त दर्शन-पूजन कर मां का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि सच्ची श्रद्धा के साथ माता की आराधना करने वाले भक्तों को शत्रुओं के भय और जीवन में बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है।
वाराणसी में माता का प्राचीन और दिव्य मंदिर है। जहां मां अपने अत्यंत भव्य रूप में विद्यमान हैं। भोर से ही दर्शन हेतु श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगने लगती हैं, और मंदिर परिसर “जय मां कालरात्रि” के जयकारों से गूंजता रहा। मां कालरात्रि को शत्रु नाशिनी और सुरक्षा की देवी माना जाता है। मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से इनका पूजन करता है, मां उसे समस्त संकटों से मुक्ति दिलाती हैं। खासकर अज्ञात शत्रु और जीवन की बाधाओं का नाश करने वाली देवी के रूप में इनकी आराधना की जाती है।
वाराणसी का यह मंदिर सैकड़ों वर्षों से आस्था का केंद्र बना हुआ है। नवरात्रि के दौरान यहां मां को नारियल की बलि चढ़ाने की परंपरा है, जिसे विशेष महत्व दिया जाता है। साथ ही लाल अड़हुल (गुड़हल) के फूलों की माला, लाल चुनरी और मिष्ठान्न का भोग अर्पित कर भक्त माँ को प्रसन्न करते हैं। मां कालरात्रि के इस दिव्य स्वरूप के दर्शन मात्र से भक्तों को आत्मिक शांति और आशीर्वाद की अनुभूति होती है। कोई सुरक्षा की कामना करता है, तो कोई समृद्धि और सफलता की प्रार्थना करता है। मंदिर के पुजारी के अनुसार, मां अपने हर भक्त की सच्चे मन से की गई प्रार्थना को जरूर स्वीकार करती हैं।
नवरात्रि के इन पावन दिनों में भक्त पारंपरिक ढंग से मां का पूजन कर उनसे जीवन के हर क्षेत्र में कल्याण और मार्गदर्शन की प्रार्थना करते हैं। मां कालरात्रि की यह उपासना शक्ति, श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है, जो सदियों से लोगों के जीवन में आशा और साहस भरती रही है।